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Operation Sindoor : भारत ने अमेरिका 'व्यापार प्रस्ताव' के दावे को नकारा, संघर्षविराम के लिए ये बताया कारण

DeskNoida
29 May 2025 10:18 PM IST
Operation Sindoor : भारत ने अमेरिका व्यापार प्रस्ताव के दावे को नकारा, संघर्षविराम के लिए ये बताया कारण
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अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटकनिक ने न्यूयॉर्क की एक अदालत में कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच जो संघर्षविराम हुआ, वह केवल तब संभव हो पाया जब तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों को अमेरिका के साथ व्यापार की सुविधा देने की पेशकश की।

भारत ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान के साथ सैन्य संघर्ष के दौरान भारत और अमेरिका के नेताओं के बीच हुई बातचीत में व्यापार से जुड़ा कोई मुद्दा सामने नहीं आया। इस तरह भारत ने अमेरिका के उस दावे को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि अमेरिका द्वारा व्यापार का प्रस्ताव दिए जाने के बाद ही युद्ध टला।

अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटकनिक ने न्यूयॉर्क की एक अदालत में कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच जो संघर्षविराम हुआ, वह केवल तब संभव हो पाया जब तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों को अमेरिका के साथ व्यापार की सुविधा देने की पेशकश की। हाल ही में ट्रंप ने कई बार यह दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि अगर वे संघर्ष नहीं रोकते तो अमेरिका उनके साथ व्यापार बंद कर देगा।

भारत की ओर से लगातार यह कहा गया है कि पाकिस्तान के साथ गोलीबारी और सैन्य गतिविधियां रोकने का निर्णय दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच सीधे संवाद के बाद लिया गया था।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के 7 मई को शुरू होने से लेकर 10 मई को संघर्षविराम की सहमति बनने तक भारत और अमेरिका के नेताओं के बीच स्थिति को लेकर बातचीत हुई थी, लेकिन इन बातचीतों में व्यापार या टैरिफ से जुड़ी कोई चर्चा नहीं हुई। उन्होंने यह बात अपने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कही।

उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत और पाकिस्तान के सैन्य संचालन प्रमुखों के बीच सीधे संपर्क के बाद ही संघर्षविराम तय हुआ था।

लटकनिक ने यह बयान पिछले हफ्ते अंतरराष्ट्रीय व्यापार अदालत में दिया था। वह वहां ट्रंप को इमरजेंसी पावर के तहत टैरिफ लगाने से रोकने की किसी भी कोशिश का विरोध कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति को यह अधिकार वास्तविक कूटनीतिक परिस्थितियों में फैसले लेने के लिए जरूरी है।

लटकनिक ने कहा कि अगर अदालत इस अधिकार को सीमित करती है तो इससे ट्रंप के उस प्रस्ताव की वैधता पर सवाल उठ सकते हैं, जिससे भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष टला था। इससे पूरे क्षेत्र की सुरक्षा और करोड़ों लोगों की जान पर खतरा पैदा हो सकता है।

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