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क्या इंसानों के लिए खतरनाक है 5G! वैज्ञानिकों ने रिसर्च में किया चौंकाने वाला खुलासा, जानें क्या है सच्चाई

नई दिल्ली। 5G टेक्नोलॉजी को लेकर जब से इसका इस्तेमाल शुरू हुआ है, तब से लेकर अब तक इसके प्रभाव को लेकर कई तरह की बातें सामने आती रही हैं। इसको लेकर दावा किया जा रहा था कि 5G टावर से निकलने वाली तरंगें पक्षियों की सेहत पर बुरा असर डाल रही हैं। यही नहीं, कुछ लोगों ने इसे इंसानों के लिए भी खतरा बताया है। लेकिन अब इस बारे में वैज्ञानिकों की एक नई रिसर्च सामने आई है जिससे इसके प्रभाव का सच सामने आया है।
क्या कहती है रिसर्च?
जर्मनी की कंस्ट्रक्टर यूनिवर्सिटी के कुछ वैज्ञानिकों ने इस दावे के ऊपर सर्च की। उन्होंने इंसानी त्वचा की कोशिकाओं (स्किन सेल्स) को 5G रेडिएशन के संपर्क में लाकर देखा कि इसका क्या असर होता है। रिसर्च में उन्होंने दो तरह की कोशिकाओं, केराटिनोसाइट्स और फाइब्रोब्लास्ट को चुना और इन्हें 27GHz और 40.5GHz फ्रीक्वेंसी की तरंगों के संपर्क में रखा। एक्सपोजर का समय 2 घंटे से लेकर 48 घंटे तक रखा गया, जिससे पता चल सके कि अल्पकालिक और दीर्घकालिक असर क्या हो सकता है। लेकिन नतीजे चौंकाने वाले थे, ना तो डीएनए में कोई बदलाव देखा गया और ना ही जीन की अभिव्यक्ति में कोई फर्क देखने को मिला। जिससे यह तो साफ हो जाता है कि इसका कोई भी बुरा प्रभाव इंसानों के ऊपर नहीं पडे़गा। यानी, 5G का इस्तेमाल करना इंसानों के लिए सुरक्षित है।
क्या 5G से शरीर गर्म होता है?
यह वैज्ञानिक रूप से साबित हुआ है कि तीव्र इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें शरीर के ऊतकों को गर्म कर सकती हैं। लेकिन इस स्टडी को खास तौर पर ऐसे ढंग से डिजाइन किया गया था कि तापमान का कोई प्रभाव न पड़े। यानी अगर कोई जैविक परिवर्तन होता भी, तो वह सिर्फ 5G तरंगों के कारण होता, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं पाया गया।
तापमान है परेशानी का कारण, तरंगे नहीं
बता दें कि वैज्ञानिक पहले ही कह चुके हैं कि अगर रेडियो तरंगें बहुत ज्यादा ताकतवर हों, तो उससे टिशू गर्म हो सकते हैं लेकिन इस रिसर्च में तापमान को पूरी तरह कंट्रोल में रखा गया था। जिससे यह साबित हो गया कि जब तक शरीर का तापमान सामान्य रहता है, तब तक 5G तरंगों से किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता। इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।