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Islam:आखिर क्यों है इस्लाम में चचेरे भाई-बहन के बीच शादी करने की इजाजत? वजह जान हो जाएंगे हैरान

नई दिल्ली। इस्लाम धर्म में शादी करने को लेकर कई तरह के नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन करना बेहद जरूरी होता है। ऐसी ही एक नियम है जिसके तहत इस्लाम में इस्लाम में सगे भाई-बहन के बीच शादी करने की इजाजत नहीं है। लेकिन चचेरे भाई-बहन के बीच शादी करने की इजाजत है। इसके पीछे का कारण जानकर हैरान हो जाएंगे। यह रिवाज दुनिया के कई हिस्सों में आम है और अरबी, पाकिस्तान और मध्य पूर्वी देशों में इसे अधिक प्राथमिकता दी जाती है।
इस्लाम में किन लोगों से शादी करना मना है
कुरान और हदीस के अनुसार कुछ रिश्तों में शादी करना हराम है, जैसे माता-पिता और बच्चे, सगे भाई-बहन, पिता के भाई या बहन, मां के भाई या बहन, भाई के बेटे या बेटी, बहन के बेटे या बेटी या बेटे के पत्नी से शादी करना हराम है। इसके अलावा किसी महिला के लिए मुस्लिम पुरुष के अलावा किसी से शादी करना जायज नहीं।
शादी जायज होने के कारण
महरम न होना- कुरान और हदीस में उन रिश्तों की सूची दी गई है जिनसे शादी वर्जित है। चचेरे भाई-बहन 'महरम' में शामिल नहीं होते हैं, इसलिए शरिया (इस्लामी कानून) चचेरे भाई-बहन से विवाह की अनुमति देता है।
पारिवारिक एकता और सद्भाव- यह प्रथा परिवार की एकता, संरचना, और सद्भाव को बनाए रखने पर जोर देती है।
पारंपरिक प्रथा- इस्लाम से पहले भी कई संस्कृतियों और क्षेत्रों में चचेरे भाई-बहनों के विवाह की प्रथा रही है, और इस्लाम ने इस परंपरा का अनुसरण किया।
नियम और सिद्धांत
सहमति अनिवार्य है- इस्लामी सिद्धांतों के अनुसार, विवाह के लिए दोनों पक्षों की आपसी सहमति आवश्यक है। जबरन या दबाव में शादी करना इस्लामी शिक्षाओं के विरुद्ध है।
आनुवंशिक जोखिम और स्वास्थ्य- कुछ लोग चचेरे भाई-बहनों के विवाह से उत्पन्न होने वाले आनुवंशिक जोखिमों की ओर इशारा करते हैं, जबकि अन्य का मानना है कि अल्लाह का हुक्म सबसे ऊपर है।
सामाजिक और व्यक्तिगत चुनाव- किसी भी मुस्लिम को अपनी चचेरी बहन से शादी करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है, खासकर यदि उसे किसी बाहरी व्यक्ति या धर्मगुरु से प्रेम हो।
सामाजिक और आर्थिक लाभ- चचेरे भाई-बहनों के बीच विवाह सांख्यिकीय रूप से कम तलाक दरों और कुछ सामाजिक-आर्थिक लाभों से जुड़ा हो सकता है।
संपत्ति और विरासत का संरक्षण- यह रिवाज संपत्ति को बाहर जाने से रोकती है, जिससे पारिवारिक संपत्ति परिवार के भीतर ही बनी रहती है।