Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य समाचार

Sawan Special: शीतलाष्टमी के दिन यह सब करने का रिवाज है... जानें इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण, साथ में पूजा-विधि भी

Anjali Tyagi
18 July 2025 8:00 AM IST
Sawan Special: शीतलाष्टमी के दिन यह सब करने का रिवाज है... जानें इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण, साथ में पूजा-विधि भी
x

नई दिल्ली। शुक्रवार के दिन शीतलाष्टमी है। शीतलाष्टमी के पर्व को स्थानीय भाषा में बासौड़ा या बूढ़ा बसौड़ा नामों से भी जाना जाता है। इस दिन बासी या ठंडा भोजन खाने की परंपरा है। साथ ही इस दिन ठंडे पानी से नहाने का भी रिवाज है। शीतलाष्टमी के दिन ऐसा क्यों किया जाता है, इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी है। दरअसल शीतला अष्टमी का यह पर्व हमें पर्यावरण को स्वच्छ और सुरक्षित रखने की प्रेरणा देता है। शीतला अष्टमी व्रत के दिन माताएं अपने बच्चों और अपने परिवार के अच्छे स्वास्थ्य के लिये शीतला माता के निमित्त व्रत रखती हैं। इसके साथ ही कई ऐसे उपाय भी हैं जिन्हें इस दिन करने से आपकी सभी समस्याएं दूर हो सकती है।

शीतलाष्टमी के 7 उपाय

1. सुख-समृद्धि के लिए- शीतला माता के नौ अक्षरों के मंत्र का जाप करें: "ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नमः"

2. भगवती की कृपा के लिए- शीतलाष्टमी पर देवी भगवती की वंदना करें और "ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नमः" मंत्र का जाप करें।

3. हर काम में लाभ के लिए- दूध-चावल की खीर बनाकर देवी मां को भोग लगाएं।

4. भय और स्वास्थ्य समस्याओं से मुक्ति के लिए- शीतलाष्टक स्तोत्र में दिए गए माता शीतला के मंत्र का जप करें।

5. नौकरी की परेशानी दूर करने के लिए- शीतला चालीसा का पाठ करें और देवी मां को फूल चढ़ाएं।

6. दिन-रात तरक्की के लिए- शीतला माता के आगे घी का दीपक जलाएं और आरती करें।

7. स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए- "ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नमः" मंत्र का जप करें।

अन्य उपाय

नीम के पेड़ की पूजा- मानसिक तनाव से मुक्ति के लिए, नीम के पेड़ की पूजा करें और 7 बार परिक्रमा करें।

बासी भोजन का भोग- शीतला माता को बासी भोजन का भोग लगाएं और खुद भी प्रसाद के रूप में बासी भोजन ग्रहण करें।

लाल रंग की वस्तुएं- माता को लाल फूल, श्रृंगार की सामग्री और लाल वस्तुएं अर्पित करें।

गौ माता को प्रसाद- शीतला माता की पूजा के बाद गौ माता को संतान के नाम का प्रसाद खिलाएं।

मंत्र जाप- "शीतले त्वं जगन्माता शीतले त्वं जगत्पिता. शीतले त्वं जगद्धात्री शीतलायै नमो नमः" मंत्र का 21 बार जाप करें।

शीतला अष्टमी का महत्व

बता दें कि शीतला अष्टमी का व्रत माता शीतला को समर्पित है, जो कई बीमारियों से रक्षा करती हैं, खासकर चेचक और खसरा जैसी बीमारियों से सभी की रक्षा करती है। यह व्रत संतान प्राप्ति और सुख-समृद्धि के लिए भी रखा जाता है। इस दिन बासी भोजन का भोग लगाने का विधान है, जो शीतलता प्रदान करता है और गर्मी के मौसम में बीमारियों से बचाता है। धार्मिक मान्यता है कि शीतला माता की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में खुशियां आती हैं।

पूजा विधि

- सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

- पूजा के लिए थाली सजाएं, जिसमें बासी भोजन, दही, पुआ, बाजरा, मठरी, रोली, मौली, फूल, वस्त्र, दीपक, आम के पत्ते, जल का कलश, चावल, हल्दी, सिंदूर, अक्षत, मेहंदी, सिक्के आदि रखें।

- माता शीतला को जल अर्पित करें और बासी भोजन का भोग लगाएं।

- शीतला चालीसा का पाठ करें और माता शीतला की आरती करें।

- कुछ लोग इस दिन शीतला अष्टक स्तोत्र का पाठ भी करते हैं।

Next Story