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जैतपुर में दीवार गिरने से 7 की मौत: किरायेदार गिरफ्तार, मकान मालिक अब भी फरार

DeskNoida
11 Aug 2025 1:00 AM IST
जैतपुर में दीवार गिरने से 7 की मौत: किरायेदार गिरफ्तार, मकान मालिक अब भी फरार
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पुलिस के अनुसार, यह ढांचा कबाड़ रखने के लिए इस्तेमाल होने वाले प्लॉट पर बना था और आवासीय उपयोग के लिए अनुमत नहीं था।

दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के जैतपुर में भारी बारिश के बीच दीवार गिरने से हुए हादसे में सात लोगों की मौत के एक दिन बाद पुलिस ने 49 वर्षीय किरायेदार को गिरफ्तार किया है। आरोपी पर इमारत में अवैध रूप से कई लोगों को ठहराने का आरोप है, जबकि मकान मालिक अब भी फरार है।

शनिवार सुबह हरि नगर स्थित मोहन बाबा मंदिर के पास बने एक समाधि स्थल की दीवार गिर गई। पुलिस के अनुसार, यह ढांचा कबाड़ रखने के लिए इस्तेमाल होने वाले प्लॉट पर बना था और आवासीय उपयोग के लिए अनुमत नहीं था।

हादसे में मारे गए लोगों में 27 वर्षीय रवीबुल और उसकी 7 वर्षीय बेटी रुकसाना, 7 वर्षीय हसीना और उसकी 25 वर्षीय मां रुबिना, असम निवासी 27 वर्षीय सफीकुल और उनकी 28 वर्षीय पत्नी डॉली, तथा पश्चिम बंगाल के 50 वर्षीय मुठ्ठू अली शामिल हैं। रुबिना के पति, 25 वर्षीय हसीबुल (मुरशिदाबाद, पश्चिम बंगाल) का इलाज सफदरजंग अस्पताल ट्रॉमा सेंटर में चल रहा है।

पुलिस ने बताया कि जांच के दौरान किरायेदार कुर्शीद (49), निवासी राधाकांतपुर गांव, नादिया जिला, पश्चिम बंगाल को गिरफ्तार किया गया। उसने कबाड़ के काम के लिए इन परिवारों को वहां ठहराया था। मकान मालिक राजबीर भाटी, जो इसी इलाके में रहता है, फरार है और उसकी तलाश में पुलिस छापेमारी कर रही है।

इस मामले में जैतपुर थाने में भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 (अपराध में उकसाना), 125 (भवन से संबंधित लापरवाही) और 290 (सार्वजनिक उपद्रव) के तहत केस दर्ज किया गया है।

दिल्ली फायर सर्विस को शनिवार सुबह 9:16 बजे घटना की सूचना मिली थी। इससे तीन मिनट पहले पुलिस को फोन कर बताया गया था कि "बड़ी दीवार गिर गई है" और कई लोग मलबे में दबे हुए हैं। मौके पर तीन दमकल गाड़ियां भेजी गईं।

जैतपुर थाने के एसएचओ और उनकी टीम ने मलबा तोड़कर फंसे हुए लोगों को बाहर निकाला। आठ लोगों को एम्स ट्रॉमा सेंटर और सफदरजंग अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन उनमें से केवल एक व्यक्ति ही जीवित बच पाया।

पुलिस के अनुसार, सभी मृतक प्रवासी मजदूर थे, जो अस्थायी झोपड़ियों में रह रहे थे और कबाड़ का काम करते थे। वे पश्चिम बंगाल और असम के निवासी थे।

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