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जितिया व्रत: जीवित पुत्रिका व्रत नहाय-खाय से आज से होगा शुरू- जानें कैसे मनाएं...

नई दिल्ली। पुत्र की लंबी उम्र और कुशलता की कामना के लिए अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की आष्टमी तिथि को जितिया व्रत मनाया जाता है। इस साल 14 सितंबर को जितिया व्रत मनाया जा रहा है। इस दिन माताएं अपनी संतान के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। यह व्रत कोई भी मां अपने बच्चे के दीर्घायु होने के लिए रख सकती हैं। जितिया खासकर बिहार और पूर्वी यूपी में मनाया जाता है। यह व्रत कल मतलब 13 सितंबर से शुरू हो जाएगा और इसका परायण 15 सितंबर को होगा। व्रत के परायण के दिन झोर-भात खाया जाता है। इसे जीवित पुत्रिका व्रत के नाम से भी जाना जाता है।
भगवान जीमूतवाहन की होती है पूजा
इस व्रत में माताएं भगवान जीमूतवाहन की पूजा करती हैं। पौराणिक मान्यताओं और ब्राहाणों के अनुसार, इस दिन माताओं द्वारा दान करने से संतान के जीवन के दुख दूर हो जाते हैं। अलग-अलग दान का फल भिन्न होता है।
अक्षत मतलब चावल का दान
अक्षत मतलब चावल जिसे सुख-वैभव का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में संतान के जीवन में धन-वैभव, ऐश्वर्य, सुख-साधन की कभी कमी नहीं हो इसके लिए जितिया व्रत के दिन अक्षत का दान किसी जरूरतमंद या ब्राहाणों को दान करना चाहिए।
फल का दान
ऐसा कहा जाता है कि फलों का दान करने से घर हमेशा हरा-भरा रहता है। संतान का जीवन सदा खुशियों से भरा रहे, इसके लिए फलों को दान अवश्य करें।
खिलौने का दान दें
ऐसी मान्यता है कि संतान के नाम से व्रत रखा जाता है, तो अपनी संतान के नाम से कोई खिलौना खरीदकर अन्य बच्चे को देंगे तो इसका दोगुना पुण्य आपको बच्चे को मिलेगा। इससे आपकी संतान सदा मुस्कुराएगी।
व्रत के परायण में झोर-भात खाते हैं
व्रत के परायण के दिन चुल्हों और सियारों को चना एवं खीरे का भोग लगाकर व्रती खाना खाती हैं। व्रत खोलने का समय पंचाग से निर्धारित किया जाता है। इस दिन कई तरह के पकवान बनाये जाते हैं। जैसे दाल की पूरी, कन्दे की सब्जी, झिंगा की सब्जी, पोई और नोनी का साग, हरे चने का झोर खाया जाता है।