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Justice Verma: जस्टिस वर्मा ने की इनहाउस जांच समिति रिपोर्ट को कैंसिल करने की मांग, महाभियोग से पहले लगाई अर्जी

नई दिल्ली। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दरअसल उन्होंने उस जांच रिपोर्ट को रद्द करने की मांग की है। जिसमें उन्हें आधी जली नकदी मामले में दोषी पाया गया था। जस्टिस वर्मा ने कहा है कि उन्हें खुद को निर्दोष साबित करने का पूरा मौका नहीं दिया गया। बता दें कि जस्टिस वर्मा कुछ समय पहले कैश कांड में फंसे थे। जिसके बाद से मामले की जांच चल रही थी।
जस्टिस वर्मा ने लगाया आरोप
दरअसल जस्टिस वर्मा का कहना है कि उनके खिलाफ जो कार्रवाई की गई, वह न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है और उन्हें खुद को सही साबित करने का पूरा मौका नहीं दिया गया।
इनहाउस जांच समिति की रिपोर्ट को रद्द करने की मांग
बता दें कि जस्टिस यशवंत वर्मा ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर इनहाउस जांच समिति की रिपोर्ट को रद्द करने की मांग की है। यह रिपोर्ट 8 मई को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा तैयार की गई थी, जिसमें संसद से उनके खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की गई थी। अपनी याचिका में जस्टिस वर्मा ने कहा कि जांच प्रक्रिया में उनसे ही यह साबित करने को कहा गया कि वे निर्दोष हैं, जो कानून के खिलाफ है।
जांच में क्या पाया गया?
जानकारी के मुताबिक तीन जजों की जांच समिति का नेतृत्व पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू ने किया था। जांच में पाया गया कि जस्टिस वर्मा और उनके परिवार का उस कमरे पर नियंत्रण था जहां आधी जली हुई बड़ी मात्रा में नकदी पाई गई थी। जांच समिति ने इस मामले में 10 दिनों तक जांच की। घटनास्थल पर जाकर निरीक्षण किया गया और रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा की भूमिका को गंभीर बताते हुए हटाने की सिफारिश की गई। इसके आधार पर तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर महाभियोग की सिफारिश की थी।
क्या है जस्टिस वर्मा का कैश कांड
जस्टिस वर्मा के लुटियंस स्थित बंगले पर 14 मार्च की रात 11:35 बजे आग लगी थी। इसे अग्निशमन विभाग के कर्मियों ने बुझाया था। घटना के वक्त जस्टिस वर्मा शहर से बाहर थे। 21 मार्च को कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि जस्टिस वर्मा के घर से 15 करोड़ कैश मिला था। काफी नोट जल गए थे। 22 मार्च को सीजे आई संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की इंटरनल जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई। पैनल ने 4 मई को CJI को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसमें जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया गया था। रिपोर्ट के आधार पर 'इन-हाउस प्रोसीजर' के तहत CJI खन्ना ने सरकार से जस्टिस वर्मा को हटाने की सिफारिश की थी। जांच समिति में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधवालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज जस्टिस अनु शिवरामन थीं।
55 लोगों के बयान हुए दर्ज
बता दें कि समिति ने 55 गवाहों के बयान दर्ज किए। इनमें दिल्ली फायर सर्विस के 11, दिल्ली पुलिस के 14, CRPF के 6, जस्टिस वर्मा के घरेलू व कोर्ट स्टाफ के 18 लोग, जस्टिस वर्मा व उनकी बेटी आदि शामिल हैं।