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Kargil Vijay Diwas 2025: कहानी वीरों की उस शौर्यगाथा की जिसको पूरे हिदुंस्तान का सलाम, आतंक को मिट्टी में मिला लहराया था परचम

नई दिल्ली। आज कारगिल युद्ध को 26 साल पूरे हो गए हैं। इसी दिन भारत को पाकिस्तान के खिलाफ एक बार फिर युद्ध में विजय मिली थी। देश कारगिल विजय दिवस के बलिदानियों को नमन कर रहा है। उनके शौर्य और साहस की गाथा को याद कर रहा है। बलिदान की उन कहानियों को अपनी स्मृतियों में संजो रहा है। राष्ट्रपित द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई नेताओं ने कारगिल विजय दिवस के वीरों को याद किया है। उनके बलिदान को नमन किया है।
84 दिन चला था युद्ध
बता दें कि जिस इलाके में ये युद्ध लड़ा गया वहां सर्दियों में तापमान माइनस 30 से माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है। सर्दियों के मौसम में इन इलाकों को खाली कर दिया जाता था। इसी का फायदा उठाकर पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ की गई। इस घुसपैठ में पाकिस्तान की सेना ने भी मदद की। 3 मई 1999 ये वो तारीख है जब हिन्दुस्तान को इस घुसपैठ का पता चला। दरअसल, कुछ स्थानीय चरवाहों ने भारतीय सेना के लोगों को इसके बारे में बताया। इसके बाद शुरू हुआ तनाव और संघर्ष 84 दिन चला। 84 दिन बाद 26 जुलाई 1999 को भारत को जीत मिली।
वीर सैनिकों को सलाम
कारगिल विजय दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पीएम मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भारतीय वायु सेना और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले वीर सैनिकों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के जरिए नेताओं ने सैनिकों के अदम्य साहस और शौर्य को याद करते हुए देश के लिए उनके योगदान को नमन किया।
कारगिल युद्ध
- 3 मई को घुसपैठियों के दिखने की सूचना मिलने के बाद 5 मई, 1999 को भारतीय सेना ने पेट्रोलिंग पार्टी को घुसपैठ वाले इलाके में भेजा। पेट्रोलिंग पार्टी जब घुसपैठ वाले इलाके में पहुंची तो घुसपैठियों ने पांचों जवानों को मार दिया। सर्वोच्च बलिदान देने वाले जवानों के शव से बर्बरता भी की गई। घुसपैठिए लेह-श्रीनगर हाईवे पर कब्जा कर लेना चाहते थे। इसके जरिए वह लेह को बाकी हिन्दुस्तान से काट देना चाहते थे।
- 9 मई को कारगिल जिले में पाकिस्तानी सेना का तोप का गोला गिरा और भारत के गोला बारूद डीपो को उड़ा दिया।
- 10 मई, 1999 को द्रास, काकसर, बटालिक सेक्टर में पाकिस्तानी घुसपैठियों को देखा गया। उस वक्त ये अंदाजा लगाया गया कि करीब 600 से 800 घुसपैठिये भारतीय चौकियों पर कब्जा कर चुके हैं।
- 15 मई, 1999 के बाद कश्मीर के अलग-अलग इलाकों से सेना को भेजने की शुरुआत हुई।
- 26 मई को भारतीय वायुसेना ने घुसपैठियों पर जमकर बमबारी की।
- 27 मई को दो भारतीय लड़ाकू विमानों को पाकिस्तानी सेना ने मार गिराया। फ्लाइट लेफ्टिनेंट के. नचिकेता को पाकिस्तान ने युद्धबंदी बना लिया। वहीं, स्क्वॉड्रन लीडर अजय अहूजा ने सर्वोच्च बलिदान दे दिया।
- 31 मई, 1999 को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का बयान आया। उन्होंने कहा कि कश्मीर में युद्ध जैसे हालात बन चुके हैं।
- 4 जुलाई को भारतीय सेना ने टाइगर हिल्स पर तिरंगा फहराया। करीब 11 घंटे तक लगातार चली लड़ाई के बाद भारतीय सेना ने इस अहम पोस्ट पर अपना कब्जा जमाया।
- 5 जुलाई को भारतीय सेना ने द्रास सेक्टर पर कब्जा जमाया। ये सेक्टर रणनीतिक रूप से बेहद अहम था।
- 7 जुलाई को बाटलिक सेक्टर में जुबर पहाड़ी पर भारतीय सेना ने फिर से कब्जा जमाया। 7 जुलाई को ही एक अन्य ऑपरेशन के दौरान कैप्टन विक्रम बत्रा ने सर्वोच्च बलिदान दिया।
- 11 जुलाई को भारतीय सेना ने बाटलिक सेक्टर की लगभग सभी पहाड़ियों की चोटियों को फिर से अपने कब्जे में ले लिया।
- 12 जुलाई को युद्ध हारते पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भारत के सामने बातचीत की पेशकश की।
- 14 जुलाई को भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को भारतीय क्षेत्र से पूरी तरह से खदेड़ दिया। भारत ने अपने सभी इलाकों को वापस हासिल कर लिया।
- 26 जुलाई को भारत ने कारगिल युद्ध को जीतने की घोषणा कर दी।
- 18 हजार फीट की ऊंचाई पर लड़ा गया युद्ध भारतीय सेनाओं के पराक्रम की गाथा कहता है।
527 वीर सबूत हुए थे शहीद
26 जुलाई को आधिकारिक तौर पर कारगिल में इस युद्ध की समाप्ति हुई, जिसमें भारत विजयी रहा। हालांकि, भारत ने इस जंग में अपने 527 वीर सबूतों को गंवाया था, जबकि 1363 जवान आहत हुए थे। उन्हीं की याद में 26 जुलाई को भारत कारगिल की जीत को विजय दिवस के रूप में मनाता है।