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केरल हाईकोर्ट ने मुस्लिम युवक को दूसरी निकाह करने पर लगाई फटकार! कहा-पहली पत्नी की भावनाओं का रखा जाना चाहिए ध्यान

Aryan
5 Nov 2025 6:27 PM IST
केरल हाईकोर्ट ने मुस्लिम युवक को दूसरी निकाह करने पर लगाई फटकार! कहा-पहली पत्नी की भावनाओं का रखा जाना चाहिए ध्यान
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कोर्ट ने कहा कि दूसरी निकाह के पहली पत्नी की सहमति ली जानी चाहिए।

केरल। केरल हाईकोर्ट ने मुस्लिम पुरुष की दूसरी निकाह के मामले में खास बात कही है। कोर्ट का मानना है कि अगर कोई मुस्लिम पुरुष पहली पत्नी के होते हुए दूसरी निकाह करना चाहता है तो उसके लिए पहली पत्नी की भी बात पर गौर की जानी चाहिए। बता दें कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति में धर्म बाद में आता है, पहले इंसानियत आती है। इसके साथ ही जज ने यह भी कहा कि 99.99 प्रतिशत मुस्लिम महिलाएं अपने पति की दूसरे निकाह के विरोध में होंगी।

कोर्ट ने याचिका की खारिज

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने कहा कि दूसरी निकाह के पहली पत्नी की सहमति ली जानी चाहिए। क्योंकि दूसरी निकाह के पंजीकरण में रस्मी कानून लागू नहीं होते हैं। दरअसल कोर्ट ने एक मुस्लिम व्यक्ति और उसकी दूसरी पत्नी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही। कपल ने उनकी शादी का पंजीकरण करने के लिए राज्य सरकार के निर्देश देने के लिए अनुरोध किया था। कोर्ट ने इस याचिका खारिज करते हुए कहा कि इसमें व्यक्ति की पहली पत्नी पक्षकार नहीं थी इसलिए याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता है।

याचिकाकर्ता ने कहा

याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने दूसरी निकाह के पंजीकरण की कोशिश की, लेकिन विभाग ने साफ मना कर दिया। पति ने कहा कि किसी भी शादी में पहली पत्नी की सहमति शामिल है। इस पर कोर्ट ने कहा कि पंजीकरण अधिकारी पहली पत्नी का पक्ष सुन सकते हैं। लेकिन यदि वह पति की दूसरी शादी का विरोध करे तो संबंधित सिविल अधिकारी अदालत से बात कर सकते हैं।

कुरान या मुस्लिम लॉ पहली पत्नी के जीवित रहते किसी अन्य के साथ शादी की इजाजत नहीं देते

हाईकोर्ट के जज जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने कहा कि मैं नहीं समझता कि कुरान या मुस्लिम लॉ पहली पत्नी के जीवित रहते और शादी कायम रहते, केरल विवाह पंजीकरण-2008 के तहत किसी और महिला के साथ वैवाहिक संबंध की इजाजत देते हैं, जबकि पहली पत्नी को इस बात का पता भी नहीं हो। उन्होंने कहा कि पहली पत्नी पति की दूसरी निकाह के पंजीकरण के चुप नहीं रह सकती है।

पहली पत्नी की भावनाओं को नहीं किया जा सकता है नजरअंदाज

जस्टिस कुन्हीकृष्णन ने कहा कि पहली पत्नी की भावनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। कोर्ट के मुताबिक मुस्लिम कानून के तहत विशेष परिस्थितियों में दूसरे निकाह की इजाजत दी जाती है।

दूसरी शादी के पंजीकरण में देश का कानून ही होगा लागू

वहीं, मुस्लिम पर्सनल लॉ दूसरी शादी की अनुमति देता है, लेकिन दूसरी शादी के पंजीकरण के मामले में देश का कानून ही लागू होगा। ऐसी स्थिति में पहली पत्नी को पक्ष रखने मौका दिया जाना चाहिए।


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