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वंदे मातरम् को लेकर खड़गे ने बीजेपी और RSS पर साधा निशाना! कहा-अपने कार्यालयों में कभी वंदे मातरम नहीं गाया

Aryan
7 Nov 2025 4:48 PM IST
वंदे मातरम् को लेकर खड़गे ने बीजेपी और RSS पर साधा निशाना! कहा-अपने कार्यालयों में कभी वंदे मातरम नहीं गाया
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खड़गे ने इस बात पर जोर दिया कि कांग्रेस पार्टी अपनी मातृभूमि के शाश्वत गीत, हमारी एकता के आह्वान और भारत की आत्मा की आवाज वंदे मातरम है।

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आज यानी शुक्रवार को कहा कि कांग्रेस पार्टी ने हमेशा राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के गौरव का ध्यान रखा है। दरअसल खड़गे ने राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं भाजपा पर तंज कसा है। खड़गे ने दावा करते हुए कहा कि यह बहुत बड़ी विडंबना है कि जिन्होंने आजतक राष्ट्रवाद का संरक्षक होने का दावा किया है उन्होंने अपने कार्यालयों में कभी वंदे मातरम नहीं गाया।

आरएसएस और बीजेपी ने कभी नहीं गाया राष्ट्रीय गीत

कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने निशाना साधते हुए कहा कि यह बेहद अफसोस की बात है कि जो लोग आजतक राष्ट्रवाद के संरक्षक होने की बात करते हैं, मतलब आरएसएस और बीजेपी ने अपनी शाखाओं में कभी वंदे मातरम अथवा जन गण मन नहीं गाया। इसकी जगह वो नमस्ते सदा वत्सले गाते रहते हैं, जो कि राष्ट्र का नहीं, बल्कि उनके संगठनों का प्रजार करने वाला गीत है।

कांग्रेस की हर बैठक में गाया जाता है वंदे मातरम्

खड़गे ने आगे कहा कि आज तक कांग्रेस की हर बैठक में गर्व के साथ वंदे मातरम गाया गया है। खड़गे ने एक बयान दिया, जिसमें कहा कि कांग्रेस, वंदे मातरम् का गौरवशाली ध्वजवाहक रही है। 1896 में कलकत्ता में कांग्रेस के अधिवेशन के समय तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष रहमतुल्लाह सयानी के नेतृत्व में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने पहली बार सार्वजनिक रूप से वंदे मातरम गाया था। उसी वक्त स्वतंत्रता संग्राम में नई जान आ गई थी।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस को पता चल चुका था कि ब्रिटिश साम्राज्य की फूट डालो और राज करो की नीति, धार्मिक, जातिगत और क्षेत्रीय पहचानों का दुरुपयोग करके, भारत की एकता को तोड़ने के लिए साजिश की गई थी। इसके खिलाफ वंदे मातरम् देशभक्ति के गीत के रूप में उभरकर सामने आया। इसकी वजह से सभी भारतीय एकजुट हो पाए।

वंदे मातरम् स्वतंत्रता संग्राम की धड़कन था

खड़गे ने कहा कि 1905 में बंगाल विभाजन से लेकर हमारे वीर क्रांतिकारियों की अंतिम सांस तक वंदे मातरम् देश भर में गूंजता रहा। यह लाला लाजपत राय के प्रकाशन का शीर्षक था, जर्मनी में फहराए गए भीकाजी कामा के झंडे पर अंकित था। यह पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की क्रांति गीतांजलि में भी पाया जाता है। अंग्रेजों ने इसकी लोकप्रियता से भयभीत होकर इस पर प्रतिबंध लगा दिया। क्योंकि यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम की धड़कन बन चुका था।

हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सबसे शक्तिशाली युद्धघोष

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के अनुसार,1915 में महात्मा गांधी ने लिखा था कि वंदे मातरम बंटवारे के दिनों में बंगाल के हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सबसे शक्तिशाली युद्धघोष बन गया था। इसके साथ ही यह साम्राज्यवाद-विरोधी नारा बन गया था। खड़गे ने इस बात का भी जिक्र किया कि 1938 में पंडित नेहरू ने लिखा था कि पिछले 30 सालों से भी अधिक समय से यह गीत सीधे तौर पर भारतीय राष्ट्रवाद से जुड़ा हुआ है। इस तरह के गीत जनता पर थोपे नहीं जाते, यह खुद ही में ऊंचे होते हैं।

वंदे मातरम् को राष्ट्रीय गीत के रूप में मान्यता दी

उन्होंने कहा कि 1937 में उत्तर प्रदेश विधानसभा ने वंदे मातरम् का गायन शुरू किया, उस वक्त पुरुषोत्तम दास टंडन वहां के अध्यक्ष थे। कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा कि उसी साल पंडित नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आजाद, सुभाष चंद्र बोस, रवींद्रनाथ टैगोर और आचार्य नरेंद्र देव के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने औपचारिक रूप से वंदे मातरम् को राष्ट्रीय गीत के रूप में मान्यता दी।

आरएसएस ने वंदे मातरम से किया परहेज

उन्होंने दावा करते हुए कहा कि 1925 में अपनी स्थापना के बाद से आरएसएस ने अपनी सार्वभौमिक श्रद्धा के बावजूद, वंदे मातरम से परहेज किया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि यह सब जानते हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और संघ परिवार ने राष्ट्रीय आंदोलन में भारतीयों के विरुद्ध अंग्रेजों का साथ दिया है। 52 वर्षों तक राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराया, भारत के संविधान का दुरुपयोग किया, बापू और बाबासाहेब आंबेडकर के पुतले जलाए और सरदार पटेल के शब्दों में, गांधी जी की हत्या में शामिल रहे।

गौरतलब है कि खड़गे ने इस बात पर जोर दिया कि, कांग्रेस पार्टी अपनी मातृभूमि के शाश्वत गीत, हमारी एकता के आह्वान और भारत की आत्मा की आवाज वंदे मातरम है।


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