Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य समाचार

Krishna Janmashtami 2025: जानें क्या है कृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त ,विधि और पूजा के नियम

Anjali Tyagi
16 Aug 2025 7:00 AM IST
Krishna Janmashtami 2025: जानें क्या है कृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त ,विधि और पूजा के नियम
x

नई दिल्ली। इस वर्ष भगवान श्रीकृष्ण का 5252वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। परंपरा के अनुसार, अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग इस पर्व के लिए महत्वपूर्ण होता है, लेकिन इस बार अष्टमी तिथि दो दिन व्याप्त रहेगी और रोहिणी नक्षत्र उससे अगली सुबह से आरंभ हो रहा है, जिससे व्रत की तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति बन गई है।

कृष्ण जन्माष्टमी 2025 शुभ मुहूर्त

इस तरह स्मार्त परंपरा से जुड़े लोग 16 अगस्त 2025 के दिन निशीथ काल की पूजा को 00:05 से 00:47 बजे तक कर सकेंगे। इस दिन जन्माष्टमी का व्रत रखने वाले लोग 16 अगस्त 2025 की रात्रि को 09:24 के बाद पारण कर सकेंगे।

पूजन मुहूर्त

बता दें कि16 अगस्त की रात को कान्हा के जन्म का उत्सव मनाते हुए 17 अगस्त 2025 को 00:05 से 00:47 बजे के बीच पूजा कर सकेंगे।

रोहिणी नक्षत्र और पारण

वैष्णव परंपरा में रोहिणी नक्षत्र को भी अत्यधिक महत्व दिया जाता है। इस बार रोहिणी नक्षत्र 17 अगस्त की सुबह 4 बजकर 38 मिनट से शुरू होकर 18 अगस्त की सुबह 3 बजकर 17 मिनट तक रहेगा। इसलिए वैष्णव भक्त 16 अगस्त की रात को पूजा करते हुए व्रत का पारण 17 अगस्त को सूर्योदय के बाद करेंगे। वहीं, स्मार्त परंपरा में सूर्योदय पर अष्टमी की उपस्थिति के आधार पर निर्णय लिया जाता है, इसलिए स्मार्त परंपरा वाले उसी दिन व्रत करके 16 अगस्त की रात में ही पारण कर लेंगे।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा के नियम

- जन्माष्टमी पर पूजा करने वाले कृष्ण भक्त को तन और मन से पवित्र होकर ही पूजा करना चाहिए।

- जन्माष्टमी के दिन कृष्ण के साधक को किसी देवालय में जाकर कान्हा के दिव्य स्वरूप का दर्शन करना चाहिए।

- जन्माष्टमी के दिन अन्न का सेवन न करें, लेकिन यह नियम बच्चों, बुजुर्गो और मरीजों पर पूरी तरह से लागू नहीं होते हैं। जो लोग किसी कारणवश व्रत रखने में असमर्थ हैं, वे अपनी आस्था और सामर्थ्य के अनुसार जितना संभव हो सके उतने ही नियमों का पालन करें।

- जन्माष्टमी पर यदि किसी कारण देवालय न जा सकें या फिर घर में भी पूजा करने में असमर्थ हों तो उनकी मानसिक पूजा करें।

- जन्माष्टमी के दिन किसी पर क्रोध न करें और न ही किसी के लिए मुख से अपशब्द निकालें।

- जन्माष्टमी के दिन भगवान को उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाने के साथ तुलसी दल अवश्य अर्पित् करें।

- जन्माष्टमी की रात भगवान श्री कृष्ण की पूजा के बाद उनके मंत्र का जाप या फिर भजन कीर्तन करें।

भगवान श्री कृष्ण के मंत्र

ॐ कृष्णाय नमः

ॐ क्लीं कृष्णाय नमः

ॐ श्री कृष्णः शरणं ममः

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

ॐ नमो भगवते श्रीगोविन्दाय नम:

Next Story