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'संघ' को भाजपा के नजरिए से देखना...मोहन भागवत ने कहा- हमारा मकसद भारत बने सशक्त!

कोलकाता। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत इन दिनों पश्चिम बंगाल के चार दिवसीय दौरे पर हैं। मोहन भागवत ने कोलकाता के साइंस सिटी सभागार में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि यदि आप संघ को समझना चाहते हैं, तो किसी अन्य संगठन से तुलना मत करिए, इससे गलतफहमियां पैदा होंगी। संघ को सिर्फ एक सेवा संगठन की तरह देखना गलत होगा।
'संघ' को भाजपा के नजरिए से समझना गलती
आरसएस प्रमुख ने कहा कि कई लोगों में 'संघ' को भाजपा के नजरिए से समझने की आदत होती है, जो कि बहुत बड़ी गलती है। संघ की स्थापना का मूल मकसद है 'भारत माता की जय'। उन्होंने कहा कि भारत केवल एक देश नहीं, बल्कि अपनी खास संस्कृति, परंपरा और स्वभाव का नाम है। संघ का लक्ष्य इन मूल्यों को बनाए रखते हुए भारत को फिर से विश्व गुरु बनाने के लिए समाज को तैयार करना है।
समाज सुधारकों का दिया उदाहरण
उन्होंने कहा कि संघ पूरी तरह हिंदू समाज के संगठन, उन्नति और संरक्षण के लिए समर्पित है। स्वयंसेवक संघ का जन्म किसी राजनीतिक मकसद, प्रतिस्पर्धा या विरोध के लिए नहीं हुआ। संघ की भूमिका समझाने के लिए भागवत ने इतिहास का उदाहरण भी दिया। उन्होंने कहा कि सुभाष चंद्र बोस के निधन के बाद अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष भले ही थम गया, लेकिन राजा राम मोहन राय जैसे समाज सुधारकों की प्रक्रिया लगातार चलती रही।
समृद्ध भारत बनाने के मकसद
उन्होंने समाज को मजबूत करने पर जोर देते हुए कहा कि भारत एक महान विरासत वाला देश है और उसे वैश्विक नेतृत्व के लिए खुद को तैयार करना होगा। उन्होंने कहा कि अतीत में हम अंग्रेजों से युद्ध हार गए थे, लेकिन अब वक्त आ गया है कि हम अपने समाज को संगठित और सशक्त बनाएं। हमारा मकसद भारत को सशक्त बनाने का है।




