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मैकाले की संतानें भाजपा में आ गई... हमारे सासंद संसद में जमकर लगाएंगे वंदे मातरम का नारा, उद्धव ठाकरे ने भाजपा को दी चेतावनी! कहा- है साहस तो बाहर निकालकर दिखाएं

मुंबई। शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आज यानी शुक्रवार को कहा कि उनकी पार्टी के सांसद संसद में जमकर वंदे मातरम का नारा लगाएंगे। उन्होंने बीजेपी को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि ताकत है तो उन्हें या उनकी पार्टी को संसद से बाहर निकालकर दिखाएं।
वंदे मातरम और जय हिंद जैसे नारे लगाना शिष्टाचार का उल्लंघन
दरअसल राज्यसभा सचिवालय ने हाल ही में निर्देश जारी किया है कि वंदे मातरम और जय हिंद जैसे नारे सदन के भीतर या बाहर लगाना संसदीय शिष्टाचार के उल्लंघन के दायरे में आएगा।
शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे कहा
मुंबई में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उद्धव ठाकरे ने कहा कि जब अविभाजित शिवसेना बीजेपी के साथ थी, तब भाजपा कहती थी कि जो इस देश में रहना चाहते हैं, उन्हें वंदे मातरम कहना चाहिए। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या इस नए निर्देश को जारी करने वाले अधिकारी को पाकिस्तान भेजा जाएगा।
मैकाले की संतानें भाजपा में आ गई
उन्होंने आगे कहा कि क्या 'मैकाले की संतानें' भाजपा में घुस गई हैं। उद्धव ठाकरे ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि उनके सांसद जोर-जोर से वंदे मातरम कहेंगे और देखेंगे कि कौन उन्हें संसद से निकालता है। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा में हिम्मत है, तो वह शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के सांसदों को बाहर निकालकर देखे।
भाजपा वंदे मातरम को हथियार बनाकर सांप्रदायिक तनाव पैदा करती है
वहीं, महाराष्ट्र कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भाजपा 'वंदे मातरम' को लेकर बेकार और दुर्भाग्यपूर्ण विवाद खड़ा कर रही है। कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा कि भाजपा राष्ट्रीय गीत का इस्तेमाल अल्पसंख्यक विधायकों को निशाना बनाने और ध्रुवीकरण का एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए कर रही है। सावंत ने कहा कि इसी हाल ही में भाजपा कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस विधायकों असलम शेख और अमीन पटेल के दफ्तरों के बाहर 'वंदे मातरम' गाने का कार्यक्रम किया। उन्होंने कहा कि यह साफ तौर पर अल्पसंख्यक समुदाय के निर्वाचित प्रतिनिधियों को डराने और बदनाम करने की कोशिश थी। सावंत ने कहा कि भाजपा वंदे मातरम को हथियार बनाकर सांप्रदायिक तनाव पैदा कर रही है।
गौरतलब है कि राज्यसभा सचिवालय ने इसे एक दिसंबर से शुरू होने वाले संसद सत्र से पहले जारी किया है। राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों के मुताबिक, यह पहला मौका नहीं, जब ऐसा निर्देश जारी किया गया है। नवंबर 2005 में यूपीए सरकार के दौरान भी इसी तरह का सर्कुलर जारी किया गया था।




