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सरकार ने जारी किया जीआर, मराठों को मिलेगा कुर्मी प्रमाणपत्र; मनोज जरांगे ने तोड़ा अनशन

DeskNoida
2 Sept 2025 10:23 PM IST
सरकार ने जारी किया जीआर, मराठों को मिलेगा कुर्मी प्रमाणपत्र; मनोज जरांगे ने तोड़ा अनशन
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सरकार ने मराठा समुदाय को दस्तावेजी सबूत प्रस्तुत करने पर कुर्मी (Kunbi) जाति प्रमाणपत्र देने की घोषणा की, जिससे उन्हें ओबीसी आरक्षण का लाभ मिल सकेगा।

महाराष्ट्र के सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने मंगलवार (2 सितंबर 2025) को अपना अनशन तोड़ दिया। उन्होंने यह कदम तब उठाया जब राज्य सरकार ने उनके अधिकतर मांगों को स्वीकार कर लिया। सरकार ने मराठा समुदाय को दस्तावेजी सबूत प्रस्तुत करने पर कुर्मी (Kunbi) जाति प्रमाणपत्र देने की घोषणा की, जिससे उन्हें ओबीसी आरक्षण का लाभ मिल सकेगा।

जरांगे ने मुंबई के आजाद मैदान में वरिष्ठ मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटील द्वारा दिया गया जूस पीकर अपना उपवास समाप्त किया। यह अनशन 29 अगस्त से चल रहा था।

सरकार का जीआर और कमेटी का गठन

महाराष्ट्र सरकार ने सामाजिक न्याय एवं विशेष सहायता विभाग के माध्यम से एक सरकारी प्रस्ताव (GR) जारी किया।

इस जीआर के तहत, हैदराबाद गजेटियर (1918 का आदेश) को आधार माना गया है।

इस गजेट में मराठवाड़ा क्षेत्र के कुछ मराठा समुदायों को पहले से ही कुर्मी जाति में दर्ज किया गया था।

सरकार ने घोषणा की है कि ग्राम-स्तरीय कमेटी बनाई जाएगी, जिसमें ग्राम सेवक, तलाठी और सहायक कृषि अधिकारी शामिल होंगे। ये कमेटियां पुराने भूमि रिकॉर्ड और दस्तावेज़ों की जांच कर प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगी।

हैदराबाद गजेटियर क्या है?

1918 में निज़ाम सरकार द्वारा जारी हैदराबाद गजेटियर में मराठवाड़ा क्षेत्र के कुछ मराठा समुदायों को कुर्मी किसान जाति के रूप में वर्गीकृत किया गया था। महाराष्ट्र में कुर्मी जाति पहले से ही ओबीसी श्रेणी में शामिल है। इस आधार पर अब मराठाओं को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा।

जरांगे का भावुक पल और चेतावनी

43 वर्षीय जरांगे अनशन तोड़ते समय आंसुओं से भर आए और उनके समर्थकों ने जोरदार उत्साह प्रकट किया।

हालांकि, उन्होंने सरकार को चेतावनी भी दी कि यदि वादों को पूरा नहीं किया गया, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे। जरांगे ने कहा—

“यदि वादाखिलाफी हुई, तो मैं चुप नहीं बैठूंगा। जरूरत पड़ी तो मंत्री के घर पर धरना दूंगा।”

जीआर के प्रमुख बिंदु

कुर्मी प्रमाणपत्र केवल उन्हीं मराठाओं को मिलेगा जो पुराने भूमि रिकॉर्ड (21 नवंबर 1961 से पहले के) प्रस्तुत कर सकेंगे।

ग्राम स्तर की कमेटी सभी दावों की पारदर्शी और समयबद्ध जांच करेगी।

उन मराठा कार्यकर्ताओं के परिजनों को नौकरी दी जाएगी, जिन्होंने आंदोलन के दौरान जान गंवाई।

आंदोलनकारियों पर दर्ज मामले वापस लिए जाएंगे।

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