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Mahishi Ugratara Temple: 700 साल पुराने इस मंदिर में देवी के बाल रूप की होती है पूजा, तंत्र साधना के लिए विशेष है स्थान, जानें मंदिर के बारे में

Anjali Tyagi
29 July 2025 8:00 AM IST
Mahishi Ugratara Temple: 700 साल पुराने इस मंदिर में देवी के बाल रूप की होती है पूजा, तंत्र साधना के लिए विशेष है स्थान, जानें मंदिर के बारे में
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सहरसा। बिहार के सहरसा से 16 किलोमीटर दूर महिषी गांव में उग्रतारा मंदिर स्थित है, जो प्रसिद्ध शक्तिपीठ स्थलों में से एक है. यह मंदिर 700 साल पुराना बताया जाता है। इस मंदिर में हर मंगलवार के दिन श्रद्धालुओं की काफी भीड़ उमड़ती है। वहीं, नवरात्रि के समय देश-विदेश से श्रद्धालु यहां माता के दर्शन करने आते हैं। यहां शंकराचार्य शास्त्रार्थ में हुए थे पराजितमहिषी में स्थित तारा मंदिर श्री उग्रतारा स्थान के नाम से प्रसिद्ध है।

कैसे विलीन हुई भगवती?

भगवती यहां आईं तो वशिष्ठ से उन्होंने तीन प्रतिज्ञा करवाई। आप में जब लोभ, अहम और ईर्ष्या आ जाएगी तो मैं विलीन हो जाऊंगी। ऐसा वचन देकर भगवती यहां आईं थीं। वशिष्ठ यहां दिनभर पूजा पाठ करके विश्राम करते थे। ऐसा हुआ कि कुछ ऋषि मुनियों की बाते सुनकर वशिष्ठ में ईर्ष्या आ गई। ईर्ष्या आने के बाद वशिष्ठ ऋषि मुनियों को कुछ कह दिया, जिसके बाद भगवती रात में ही विलीन हो गई।

नवरात्र में होती है तंत्र साधना

महिषी स्थित मां उग्रतारा मंदिर में नवरात्र के समय लोग तंत्र साधना भी करते हैं। नवमी तिथि पर दर्जनों भैंसों और सैकड़ों बकड़ों की बलि दी जाती है। वहीं बिहार सरकार के पर्यटन विभाग की ओर से भव्य उग्रतारा महोत्सव का भी आयोजन किया जाता है

देवी के बाल रूप की होती है पूजा

सहरसा का मां उग्रतारा मंदिर 700 साल पुराना है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां देवी के बाल रूप की पूजा होती है। कहा जाता कि मंदिर बनने से पहले भगवती खुद यहां मौजूद थीं। देवी उग्रतारा की यहां मौजूदगी होने को लेकर कई मान्यताएं भी हैं।

मुख्य बातें

स्थान- यह मंदिर बिहार के सहरसा जिले के महिषी गांव में स्थित है।

प्रमुख देवता- यहां भगवती तारा की प्राचीन मूर्ति स्थापित है।

धार्मिक महत्व- यह एक प्रसिद्ध शक्तिस्थल है, जहां साल भर श्रद्धालु आते हैं, खासकर नवरात्र और मंगलवार को भीड़ अधिक होती है।

ऐतिहासिक संदर्भ- इस स्थान से जुड़ा एक ऐतिहासिक तथ्य यह भी है कि आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र की पत्नी विदुषी भारती के बीच शास्त्रार्थ भी इसी स्थान पर हुआ था, जिसमें शंकराचार्य को हार मिली थी।

मान्यता- मान्यता है कि यहाँ सती का बायां नेत्र गिरा था। यहां भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

तात्पर्य- 'तारा' शब्द का अर्थ है तारकत्व प्राप्त कराने वाली, और उन्हें उग्रतारा भी कहा जाता है क्योंकि वे भयंकर विपत्तियों से बचाती हैं।

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