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SIR के लिए ममता सरकार तैयार नहीं, आयोग को पत्र लिखकर मांगा समय, जानें क्या कहा

नई दिल्ली। बिहार में एसआईआर को लेकर जमकर सियासी विवाद चल रहा है। वहीं इसको लेकर विपक्ष सवाल खड़े कर रहा है। हालांकि विपक्ष के हंगामों के बीच SIR की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इस बीच लगातार कयास लगाए जा रहे थे कि पश्चिम बंगाल में भी SIR को लेकर जल्द कदम उठाए जाएंगे। हालांकि बंगाल में SIR संभव दिखाई नहीं दे रहा है।
बंगाल सरकार ने पत्र को किया अस्वीकार
दरअसल, कुछ मीडिया रिपोर्ट का कहना है कि बंगाल सरकार ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी है। उस पत्र में बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत ने कहा कि राज्य अभी SIR के लिए तैयार नहीं है और इस तरह से मतदाता सूची का एसआईआर नहीं किया जा सकता। इसके लिए कम से कम दो साल लगेंगे। हाल ही में राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने चुनाव आयोग को एक पत्र लिखकर कहा था कि बंगाल एसआईआर के लिए तैयार है। लेकिन अब बंगाल सरकार ने उस पत्र को अस्वीकार कर दिया है।
पत्र भेजकर राज्य की स्थिति की स्पष्ट
बता दें कि मुख्य सचिव ने आनन-फानन में आयोग के सीईओ कार्यालय को एक पत्र भेजकर राज्य की स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने साफ किया कि अभी समय नहीं आया है। इसके अलावा, इस रिपोर्ट का कहना है कि मुख्य सचिव पंत द्वारा भेजे गए पत्र में नाराजगी भी जताई गई है। उस पत्र में यह सवाल भी उठाया गया है कि सीईओ कार्यालय ने राज्य से परामर्श किए बिना आयोग को पत्र क्यों भेजा?
बीजेपी नै ममता सरकार पर लगाया आरोप
हालांकि बीजेपी ममता सरकार के इस रुख को हल्के में नहीं ले रही है। केंद्रीय राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा कि सब कुछ समझ में आता है। वे किसी भी तरह से एसआईआर को रोकने के लिए बेताब हैं क्योंकि, अगर मतदाता सूची का व्यापक संशोधन हुआ, तो रोहिंग्याओं के वोटों से जीती यह सरकार हार जाएगी। हालांकि, आयोग देश की संप्रभुता को बचाने के लिए कदम जरूर उठाएगा।