Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य समाचार

मौलाना मदनी ने मोहन भागवत के सुझाव की सराहना की! काशी और मथुरा के बातचीत पर जताई सहमति... बीजेपी नेता भी दिखे संतुष्ट

Aryan
6 Sept 2025 3:32 PM IST
मौलाना मदनी ने मोहन भागवत के सुझाव की सराहना की! काशी और मथुरा के बातचीत पर जताई सहमति... बीजेपी नेता भी दिखे संतुष्ट
x
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पहले ही साफ कर चुके हैं कि संघ ने सिर्फ राम मंदिर आंदोलन का आधिकारिक समर्थन किया था। हालांकि संघ के कार्यकर्ता काशी और मथुरा आंदोलनों के लिए व्यक्तिगत रूप से अपनी राय रख सकते हैं।

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद प्रमुख मौलाना महमूद मदनी के बयान की सराहना की है। मौलाना महमूद मदनी ने ज्ञानवापी और मथुरा मस्जिद के विवाद पर बातचीत अपना समर्थन दिया है। इसी मामले में बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि महमूद मदनी का बयान भले ही देर से आया है, लेकिन देर आए दुरुस्त आए हैं। उन्होंने कहा कि काशी, मथुरा और ज्ञानवापी के मुद्दे पर खुली चर्चा होनी चाहिए।

मौलाना महमूद मदनी के बयान

मौलाना महमूद मदनी ने अपने बयान में कहा कि हमारे संगठन ने पहले ही प्रस्ताव पास किया था कि संवाद जरूर होना चाहिए। आपसी मतभेदों को कम करना होगा। आरएसएस प्रमुख ने जिस तरह संवाद का हाथ बढ़ाया है, उसकी सराहना करनी चाहिए। हमलोग उनकी कोशिशों का समर्थन करेंगे।

शाहनवाज हुसैन ने RSS प्रमुख के बयान की याद दिलाई

जानकारी के मुताबिक, शाहनवाज हुसैन ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान की याद दिलाते हुए कहा कि काशी और मथुरा को लेकर आंदोलन नहीं होगा, लेकिन समाधान खोजना ही पड़ेगा। जबकि बीजेपी नेता अजय आलोक ने कहा कि विवाद को बातचीत से सुलझा लेना पूरे देश के हित में है, वहीं आरपी सिंह ने मथुरा और काशी को भारत की सांस्कृतिक धरोहर बताते हुए इस संवाद का पर सहमति जताई है। मदनी के बयान विदेशी घुसपैठिए भारत में नहीं रहने चाहिए वाली बात पर नलिन कोहली ने भी सराहना की है।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पहले ही साफ कर चुके हैं कि संघ ने सिर्फ राम मंदिर आंदोलन का आधिकारिक समर्थन किया था। हालांकि संघ के कार्यकर्ता काशी और मथुरा आंदोलनों के लिए व्यक्तिगत रूप से अपनी राय रख सकते हैं।

कांग्रेस ने जताई आपत्ति

कांग्रेस नेता राजेश ठाकुर ने मदनी के बयान पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि यह मामला आरएसएस का नहीं है, अदालत एवं प्रशासन का है, इसलिए इसे अदालत पर छोड़ देना चाहिए। हमें समझ नहीं आ रहा है कि मौलाना ने यह बयान क्यों और किस दबाव में आकर दिया है।


Next Story