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झटका! अगले साल 20% तक महंगे हो सकते हैं मोबाइल रिचार्ज, रिपोर्ट में बड़ा दावा

DeskNoida
17 Dec 2025 1:00 AM IST
झटका! अगले साल 20% तक महंगे हो सकते हैं मोबाइल रिचार्ज, रिपोर्ट में बड़ा दावा
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ग्लोबल इनवेस्टमेंट फर्म मॉर्गन स्टैनली (Morgan Stanley) के अनुसार, टेलीकॉम कंपनियां अप्रैल से जून 2026 के बीच 4G और 5G रिचार्ज प्लान्स को 16 से 20 प्रतिशत तक महंगा कर सकती हैं।

देश के करोड़ों मोबाइल उपभोक्ताओं के लिए आने वाला साल राहत की बजाय महंगाई की नई चुनौती लेकर आ सकता है। एक नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मोबाइल रिचार्ज प्लान्स की कीमतों में अगले साल बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। ग्लोबल इनवेस्टमेंट फर्म मॉर्गन स्टैनली (Morgan Stanley) के अनुसार, टेलीकॉम कंपनियां अप्रैल से जून 2026 के बीच 4G और 5G रिचार्ज प्लान्स को 16 से 20 प्रतिशत तक महंगा कर सकती हैं।

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मॉर्गन स्टैनली ने 15 दिसंबर को जारी अपने आकलन में कहा है कि यह बढ़ोतरी पहले के अनुमानों से कहीं ज्यादा और जल्दी हो सकती है। इससे पहले फर्म ने 2026 में करीब 15 प्रतिशत टैरिफ बढ़ोतरी की संभावना जताई थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 20 प्रतिशत तक कर दिया गया है। अगर ऐसा होता है, तो आम मोबाइल यूजर्स की मासिक लागत में सीधा असर देखने को मिलेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह बढ़ोतरी प्रीपेड और पोस्टपेड दोनों तरह के ग्राहकों पर लागू हो सकती है। हाल के महीनों में टेलीकॉम कंपनियों ने कई सस्ते प्लान्स को बंद कर दिया है और ओटीटी स्ट्रीमिंग सेवाओं को केवल महंगे या प्रीमियम प्लान्स के साथ जोड़ दिया गया है। इसे संकेत माना जा रहा है कि कंपनियां धीरे-धीरे ग्राहकों को ज्यादा कीमत चुकाने के लिए मानसिक रूप से तैयार कर रही हैं।

अगर यह अनुमान सही साबित होता है, तो यह पिछले आठ वर्षों में चौथी बड़ी टैरिफ बढ़ोतरी होगी। इससे पहले 2019 में लगभग 30 प्रतिशत, 2021 में 20 प्रतिशत और 2024 में करीब 15 प्रतिशत तक रिचार्ज प्लान्स महंगे किए जा चुके हैं। मॉर्गन स्टैनली का मानना है कि हर टैरिफ बढ़ोतरी का फायदा मजबूत कंपनियों को ज्यादा मिलता है, जबकि कमजोर कंपनियां और पीछे छूट जाती हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, भारती एयरटेल लगातार अपनी स्थिति मजबूत कर रही है। 2024 की शुरुआत में एयरटेल का रेवेन्यू शेयर करीब 36 प्रतिशत था, जो 2028 तक बढ़कर 40 प्रतिशत से ज्यादा हो सकता है। वहीं, वोडाफोन आइडिया की हिस्सेदारी इसी अवधि में 24 प्रतिशत से घटकर 18 प्रतिशत तक सिमटने का अनुमान है। सब्सक्राइबर बेस की बात करें तो वोडाफोन आइडिया की हिस्सेदारी 29 प्रतिशत से घटकर 2028 तक लगभग 22.5 प्रतिशत रह सकती है, जबकि एयरटेल करीब 32 प्रतिशत के आसपास स्थिर रह सकती है।

टैरिफ बढ़ोतरी का सीधा असर एयरटेल के एआरपीयू यानी प्रति यूजर औसत कमाई पर भी पड़ सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2026 में एयरटेल का एआरपीयू 260 रुपये से बढ़कर 2027 में 299 रुपये और 2028 में 320 रुपये तक पहुंच सकता है। आगे चलकर वित्त वर्ष 2032 तक यह आंकड़ा 370 से 390 रुपये के बीच हो सकता है। इसकी वजह बेहतर डेटा प्राइसिंग, पोस्टपेड ग्राहकों की संख्या में इजाफा और ट्रैवल बढ़ने से रोमिंग पैकेज की बढ़ती मांग बताई जा रही है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि एयरटेल और जियो दोनों के लिए टैरिफ बढ़ाने का समय अनुकूल है, क्योंकि 5G नेटवर्क का बड़ा हिस्सा पहले ही तैयार हो चुका है। जहां पहले कैपेक्स रेवेन्यू का करीब 30 प्रतिशत तक पहुंच गया था, वहीं अब इसके 20 प्रतिशत से नीचे आने की उम्मीद है।

वहीं, वोडाफोन आइडिया को रिपोर्ट में एक “वाइल्डकार्ड” के रूप में देखा गया है। मॉर्गन स्टैनली का मानना है कि अगर कंपनी को समय पर फंडिंग और नियामकीय राहत मिलती है, तो वह एयरटेल और जियो की बनती हुई डुओपॉली को कुछ हद तक चुनौती दे सकती है। फिलहाल, मोबाइल यूजर्स को बेहतर नेटवर्क के साथ-साथ अगले साल महंगे रिचार्ज के लिए भी तैयार रहना पड़ सकता है।

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