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16 साल बाद मानसून ने दी जल्दी दस्तक, केरल पहुंचा दक्षिण-पश्चिम मानसून

DeskNoida
25 May 2025 3:00 AM IST
16 साल बाद मानसून ने दी जल्दी दस्तक, केरल पहुंचा दक्षिण-पश्चिम मानसून
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आमतौर पर मानसून 1 जून के आसपास केरल पहुंचता है और 8 जुलाई तक पूरे देश में फैल जाता है। इसके बाद यह सितंबर के मध्य से उत्तर-पश्चिम भारत से वापसी शुरू करता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह लौट जाता है।

भारत में इस साल मानसून ने सामान्य समय से पहले दस्तक दी है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून ने शनिवार को केरल पहुंचकर भारतीय मुख्यभूमि पर अपनी शुरुआत कर दी है। यह 2009 के बाद पहली बार है जब मानसून इतनी जल्दी पहुंचा है।

आमतौर पर मानसून 1 जून के आसपास केरल पहुंचता है और 8 जुलाई तक पूरे देश में फैल जाता है। इसके बाद यह सितंबर के मध्य से उत्तर-पश्चिम भारत से वापसी शुरू करता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह लौट जाता है।

मौसम विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, पिछले साल मानसून 30 मई को केरल पहुंचा था, जबकि 2023 में यह 8 जून को आया था। इसके पहले 2022 में 29 मई, 2021 में 3 जून, 2020 में 1 जून, 2019 में 8 जून और 2018 में भी 29 मई को मानसून की शुरुआत हुई थी।

अब तक का सबसे जल्दी मानसून 1990 में 19 मई को केरल पहुंचा था, जो सामान्य समय से 13 दिन पहले था।

मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि मानसून कब शुरू होता है, इसका पूरे देश में वर्षा की कुल मात्रा पर कोई सीधा असर नहीं पड़ता। केरल में जल्दी या देर से पहुंचने का मतलब यह नहीं कि पूरे देश में भी उसी तरह बारिश होगी।

मौसम विभाग ने इस साल सामान्य से अधिक बारिश की संभावना जताई है। अप्रैल में जारी पूर्वानुमान में बताया गया कि इस बार एल नीनो जैसे हालात नहीं बनेंगे, जो भारत में कम बारिश से जुड़े होते हैं।

मौसम विभाग के अनुसार, यदि 87 सेंटीमीटर के औसत के मुकाबले बारिश 96 से 104 प्रतिशत के बीच हो, तो उसे सामान्य माना जाता है। इससे कम या ज्यादा होने पर उसे अलग-अलग श्रेणियों में रखा जाता है।

भारत में 2024 में औसत से अधिक 934.8 मिमी बारिश हुई, जो 108 प्रतिशत रही। यह 2020 के बाद सबसे ज्यादा थी। 2023 में 820 मिमी (94.4%), 2022 में 925 मिमी, 2021 में 870 मिमी और 2020 में 958 मिमी बारिश दर्ज की गई थी।

मानसून भारत के कृषि क्षेत्र के लिए बेहद अहम है, क्योंकि यह लगभग 42 प्रतिशत आबादी की आजीविका से जुड़ा है और देश के सकल घरेलू उत्पाद में इसका 18.2 प्रतिशत योगदान होता है। इसके अलावा, मानसून देशभर के जलाशयों को भरने में भी अहम भूमिका निभाता है, जो पीने के पानी और बिजली उत्पादन के लिए जरूरी हैं।

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