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मच्छरदानी घोटाला: 52 रुपये की मच्छरदानियां 237 रुपये में सरकार को बेचीं, CBI ने दर्ज की FIR

DeskNoida
8 July 2025 3:00 AM IST
मच्छरदानी घोटाला: 52 रुपये की मच्छरदानियां 237 रुपये में सरकार को बेचीं, CBI ने दर्ज की FIR
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यह खरीद हिंदुस्तान इंसेक्टिसाइड्स लिमिटेड (HIL) ने 2021-22 में की थी। इस सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी को सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) के जरिये मलेरिया नियंत्रण के लिए 11 लाख से ज्यादा लॉन्ग-लास्टिंग इंसेक्टिसाइडल नेट्स (LLINs) सप्लाई करने का 29 करोड़ रुपये का ठेका मिला था।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने एक कथित घोटाले में एफआईआर दर्ज की है, जिसमें कीटनाशकयुक्त मच्छरदानियों की खरीद में भारी गड़बड़ी सामने आई है। अधिकारियों के मुताबिक, जिन मच्छरदानियों की असली कीमत प्रति पीस 49 से 52 रुपये थी, उन्हें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन केंद्रीय चिकित्सा सेवा सोसायटी (CMSS) को 228 से 237 रुपये प्रति पीस की दर से बेचा गया।

यह खरीद हिंदुस्तान इंसेक्टिसाइड्स लिमिटेड (HIL) ने 2021-22 में की थी। इस सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी को सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) के जरिये मलेरिया नियंत्रण के लिए 11 लाख से ज्यादा लॉन्ग-लास्टिंग इंसेक्टिसाइडल नेट्स (LLINs) सप्लाई करने का 29 करोड़ रुपये का ठेका मिला था।

गौर करने वाली बात यह रही कि HIL ने खुद उत्पादन क्षमता न होने के बावजूद एकमात्र बोलीदाता के रूप में हिस्सा लिया और प्रति मच्छरदानी 228-237 रुपये की दरें बताईं।

इसके बाद कंपनी ने यह काम पैनल में शामिल विक्रेताओं को सब-कॉन्ट्रैक्ट कर दिया। HIL ने कच्चा माल और रसायन मुहैया कराए, जबकि उत्पादन और कीटनाशक उपचार विक्रेताओं ने किया।

FIR में बताया गया कि सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी शोबीका इम्पेक्स को नजरअंदाज कर HIL के अधिकारियों ने एक ऐसी खरीद प्रक्रिया शुरू की, जिससे ऑर्डर मोहनिंदर कौर निटिंग प्राइवेट लिमिटेड को चला गया। इस कंपनी के पास भी खुद की उत्पादन क्षमता नहीं थी।

वास्तविक उत्पादन वीकेए पॉलिमर्स ने किया। उसने मच्छरदानियां जेपी पॉलिमर्स को प्रति पीस 49-52 रुपये में बेचीं। बीच में कई कंपनियों के जरिए होते हुए जब माल HIL तक पहुंचा, तब तक कीमत 87-90 रुपये प्रति पीस हो चुकी थी।

HIL ने इन्हीं मच्छरदानियों को CMSS को 228-237 रुपये की दर से सप्लाई किया, जिससे कीमत में हेरफेर और कमीशनखोरी का शक पैदा हुआ।

FIR में कहा गया है कि वीकेए पॉलिमर्स और जेपी पॉलिमर्स आपस में जुड़ी कंपनियां हैं, जिनका प्रबंधन आनंद समियप्पन और एम. शक्तिवेल करते हैं। वहीं, मोहनिंदर कौर निटिंग के डायरेक्टर बलविंदर सिंह टंडन ने अपनी कंपनी के जरिए खरीद आदेशों को क्रियान्वित कराया।

इस तरह बढ़ी हुई कीमतों और मध्यस्थ कंपनियों के जरिये हुए लेन-देन से CMSS को करीब 6.63 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जबकि HIL और अन्य कंपनियों ने मुनाफा कमाया।

CBI ने अपनी FIR में मोहनिंदर कौर निटिंग प्राइवेट लिमिटेड, इसके डायरेक्टर बलविंदर सिंह टंडन, वीकेए पॉलिमर्स प्राइवेट लिमिटेड और इसके डायरेक्टर आनंद समियप्पन, जेपी पॉलिमर्स और इसके पार्टनर एम. शक्तिवेल के नाम शामिल किए हैं। इसके अलावा, HIL और CMSS के अज्ञात अधिकारियों को भी आरोपी बनाया गया है।

इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश की धाराओं के साथ-साथ भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धाराएं लगाई गई हैं।

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