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नेपाल की कमान अब सुशीला कार्की के हाथ! इतनी बड़ी संख्या में Gen Z ने सुशीला पर जताया भरोसा, जानें कौन हैं कार्की

Shilpi Narayan
10 Sept 2025 6:33 PM IST
नेपाल की कमान अब सुशीला कार्की के हाथ! इतनी बड़ी संख्या में Gen Z ने सुशीला पर जताया भरोसा, जानें कौन हैं कार्की
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नई दिल्ली। नेपाल में पिछले तीन दिनों से Gen Z उग्र हो गया है। यह आंदोलन इतना उग्र हो गया कि देश में राजनीतिक उथल-पुथल मच गया। यहां तक कि पीएम से लेकर सरकार के कई मंत्रियों ने इस्तीफा दिया। साथ ही नेपाल के राष्ट्रपति तक को अपना पद छोड़ना पड़ा। अब नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के देश छोड़ने की खबर सामने आ रही है।

ऑनलाइन सभा में 5,000 से ज्यादा युवाओं ने लिया हिस्सा

नेपाल की राजनीति में एक नया मोड़ आता दिख रहा है। हिंसा और सत्ता संकट के बीच अब देश की कमान कौन संभालेगा, इसे लेकर Gen-Z आंदोलनकारियों ने वर्चुअल बैठक बुलाई। मिली जानकारी के अनुसार इस ऑनलाइन सभा में 7,411 युवाओं ने हिस्सा लिया और सबसे ज्यादा समर्थन पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को मिला है।

1,000 लिखित हस्ताक्षर की शर्त रखी थी

कार्की ने इससे पहले पीएम पद के लिए कम-से-कम 1,000 लिखित हस्ताक्षर की शर्त रखी थी। सूत्रों के मुताबिक, अब तक उन्हें 2,500 से अधिक समर्थन पत्र मिल चुके हैं। हालांकि काठमांडू के मेयर बालेन शाह, जिन्हें अब तक Gen-Z का पोस्टर लीडर माना जाता रहा है, उन्होंने युवाओं की अपील का कोई जवाब नहीं दिया। एक प्रतिनिधि ने कहा कि उन्होंने हमारी कॉल नहीं उठाई, चर्चा फिर दूसरे नामों की ओर चली गई और सबसे अधिक समर्थन सुशीला कार्की को मिला। ऐसे में दिलचस्प है कि अगर सुशीला कार्की प्रस्ताव स्वीकार करती हैं, तो माना जा रहा है कि वह पहले सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल से मुलाकात करेंगी, जिसके बाद राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल की औपचारिक मंजूरी जरूरी होगी।

पालियामेंट्री कमेटी की आपात बैठक बुलाई गई

पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस और पानी की बौछार का इस्तेमाल किया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कुछ इलाकों में कर्फ्यू भी लगाया गया, लेकिन फिर भी स्थिति काबू में न आने पर देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए गए। इस सबके बाद भी स्थिति काबू में न आते देख पालियामेंट्री कमेटी की आपात बैठक बुलाई गई। कमेटी ने सरकार को कहा- प्रदर्शनकारियों से वार्ता करे, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी और स्थिति बिगड़ती ही चली गई।

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