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जीत गए नीतीशे कुमार, भतीजा गया हार! क्या लोकतंत्र में बैलेंस बना रहेगा यार...

नई दिल्ली। यह अलग बात है कि अभी काउंटिंग चल रही है। अभी यह कहना सही नहीं होगा की कौन सी पार्टी जीत और कौन सी हार गई। लेकिन आप भी टीवी या किसी अन्य माध्यम से काउंटिंग देख रहे होंगे। जितना आप चुनाव परिणाम देख चुके हैं उस हिसाब से यह तो कह ही सकते हैं कि बिहार में एनडीए की सरकार को बनने से कोई रोक नहीं सकता है।
ऐसा परिणाम नहीं सोचा था
टीवी, मोबाइल पर चुनाव परिणाम देख रहे लोगों से वार्ता 24 के संवाददाताओं ने यह पूछा कि क्या इस चुनाव परिणाम का अंदाज था तो अधिकांश लोगों ने कहा कि बिल्कुल भी ऐसा आईडिया नहीं था। राजनीति में रुचि रखने वाले लोगों ने कहा कि बिहार अभी इतना शिक्षित नहीं हुआ है कि मुद्दे पर वोट किया हो। जिसका लोक लुभावन ज्यादा प्रबल रहा, वह बाजी मार गया।
लोकतंत्र के हित में नहीं है विपक्ष का हाफ सेंचुरी
महा गठबंधन हाफ सेंचुरी पर अटक गया है और एनडीए की सुनामी चल रही है, यह स्थिति लोकतंत्र के हित में नहीं है। इस समय एनडीए 198 सीट पर आगे और महा गठबंधन मार्च 39 सीट पर आगे है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सत्ता और विपक्ष के बीच चुनाव परिणाम का इतना बड़ा फर्क लोकतंत्र के हित में नहीं है। ऐसे में सत्ता की हनक जनता के लिए खतरनाक हो सकती है।
इस परिणाम के पीछे क्या-क्या रहे मुद्दे
बिहार के एक वोटर ने कहा कि क्या इस समय भगत सिंह होते और चुनाव लड़ते तो क्या उन्हें वोट मांगने की भी जरूरत भी होती? पर आज की तारीख में कोई भी पार्टी हो उन्हें वोट मांगना क्या, वोट के लिए तिकड़म करनी पड़ती है। इस बार तिकड़म का स्वरूप यह रहा कि महिलाओं को पैसे बांटकर या नौकरी का लोभ देकर हर किसी पार्टी ने मतदाता से उसका वोट खरीदने की निंदनीय कार्य किया।




