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नॉर्वे शतरंज: 18 वर्षीय भारतीय ग्रैंडमास्टर से अपनी हार बर्दाश्त नहीं कर पाया विश्व का नंबर 1 खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन, जानें किस तरह बिदका

Shilpi Narayan
2 Jun 2025 12:37 PM IST
नॉर्वे शतरंज: 18 वर्षीय भारतीय ग्रैंडमास्टर से अपनी हार बर्दाश्त नहीं कर पाया विश्व का नंबर 1 खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन, जानें किस तरह बिदका
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डी. गुकेश ने रचा इतिहास: मैग्नस कार्लसन को क्लासिकल शतरंज में पहली बार हराया

नई दिल्ली (राशी सिंह)। नॉर्वे शतरंज 2025 में 18 वर्षीय भारतीय ग्रैंडमास्टर डी. गुकेश ने शतरंज की दुनिया को चौंकाते हुए विश्व के नंबर 1 खिलाड़ी और पूर्व विश्व चैंपियन मैग्नस कार्लसन को क्लासिकल फॉर्मेट में पराजित कर दिया। यह जीत सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं थी, बल्कि भारतीय शतरंज इतिहास के पन्नों में दर्ज होने लायक क्षण था।

स्टावेंगर में खेले गए इस छठे राउंड के मैच में गुकेश ने 62 चालों और चार घंटे से अधिक समय तक चले संघर्ष में कार्लसन की एक दुर्लभ गलती का फायदा उठाया। मैच के शुरुआती हिस्से में गुकेश दबाव में थे, लेकिन समय के नियंत्रण और धैर्य से उन्होंने पासा पलट दिया।

गुकेश की विनम्रता बनाम कार्लसन का गुस्सा

जहां एक ओर गुकेश ने जीत के बाद खुद को संयमित और विनम्र बनाए रखा, वहीं दूसरी ओर कार्लसन की प्रतिक्रिया पूरी तरह से भावनात्मक रही। हार के बाद उन्होंने गुस्से में टेबल पर जोर से हाथ मारा, जिससे मोहरे बिखर गईं। हालांकि उन्होंने गुकेश से हाथ मिलाया और पीठ थपथपाई, लेकिन तुरंत कार्यक्रम स्थल छोड़ दिया। गुकेश, जो मैच के बाद अपनी ठोड़ी पर हाथ रखे कुछ पल तक स्तब्ध खड़े रहे, शायद खुद को यकीन नहीं दिला पा रहे थे कि उन्होंने क्लासिकल शतरंज में महानतम खिलाड़ियों में से एक को हरा दिया है।

खेल भावना और शांत संयम की मिसाल

मैच के बाद गुकेश ने कहा, "100 में से 99 बार मैं यह मैच हार जाता। यह सिर्फ मेरा भाग्यशाली दिन था।" उन्होंने आगे बताया कि उन्होंने सिर्फ ऐसे मूव्स खेलने की कोशिश की जो कार्लसन के लिए मुश्किल हों, और अंत में समय की कमी कार्लसन के लिए महंगी साबित हुई। दिग्गज महिला ग्रैंडमास्टर सुसान पोलगर ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर गुकेश की सराहना करते हुए लिखा, "गुकेश ने ‘विन विद ग्रेस’ का सही उदाहरण पेश किया। उनके पास योद्धा जैसा दिल है, भले ही उन्होंने इसे खुले तौर पर व्यक्त न किया हो।"

मैच की रणनीति और निर्णायक पल

इस मैच में सफेद मोहरों से खेलते हुए, गुकेश ने पूरी तरह से अनुशासन के साथ डटे रहने की रणनीति अपनाई। शुरुआत से ही कार्लसन का दबदबा था, लेकिन अंत में उन्होंने एक गलती की जिसका गुकेश ने पूरी तैयारी के साथ फायदा उठाया। इस जीत के साथ गुकेश ने क्लासिकल शतरंज में पहली बार कार्लसन को पराजित किया, वह भी उनके घरेलू मैदान पर। यह मुकाबला सिर्फ स्कोरबोर्ड की दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं था, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन के स्तर पर भी दोनों खिलाड़ियों की परीक्षा थी। इस जीत ने टूर्नामेंट की रैंकिंग को भी झटका दिया। राउंड 6 से पहले कार्लसन 9.5 अंकों के साथ शीर्ष पर थे, लेकिन गुकेश की इस जीत ने उन्हें 8.5 अंकों के साथ तीसरे स्थान पर ला खड़ा किया, सिर्फ एक अंक पीछे। टूर्नामेंट का रोमांच इससे और भी गहराता गया। गुकेश के कोच ग्रेजगोरज गेजेव्स्की ने इस जीत को ‘सबसे मजबूत मुट्ठी टक्कर’ बताया और कहा, “अब जब वह यह कर चुका है, तो जानता है कि दोबारा कर सकता है।”

पूर्व आलोचना और वर्तमान जवाब

कार्लसन ने इससे पहले भी गुकेश के क्लासिकल खेल को लेकर टिप्पणियां की थीं। पहले राउंड में जीत के बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा था, “जब आप राजा के पास आते हैं, तो चूकना नहीं चाहिए।” इस जीत के जरिए गुकेश ने न केवल उस चुनौती का जवाब दिया बल्कि आलोचना को भी शांति और प्रदर्शन से दरकिनार कर दिया।

भारतीय शतरंज का स्वर्ण क्षण

इस दिन भारतीय शतरंज के लिए और भी गौरवपूर्ण रहा। अर्जुन एरिगैसी ने आर्मागेडन गेम में चीनी जीएम वेई यी को हराया, जबकि महिला वर्ग में कोनेरू हम्पी और वैशाली रमेशबाबू के मुकाबले में अन्ना मुजीचुक को बढ़त मिली। गुकेश की यह जीत भारतीय युवा प्रतिभा की वैश्विक मंच पर स्वीकार्यता का प्रमाण है। यह सिर्फ एक जीत नहीं, बल्कि भावी विश्व चैंपियन बनने की संभावना की एक झलक भी है।

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