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ओडिशा सरकार ने कृषि विकास के लिए चार निगमों के साथ किए समझौते

ओडिशा सरकार ने शुक्रवार को कृषि क्षेत्र के विकास और किसानों को सहयोग देने के लिए चार निगमों के साथ समझौता किया। ये समझौते वित्त वर्ष 2025-26 के लिए किए गए हैं। कृषि विभाग ने ये सहमति-पत्र ओडिशा एग्रो-इंडस्ट्रियल कॉर्पोरेशन (OAIC), ओडिशा एग्रीकल्चर प्रमोशन एंड कैपिटल इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (APICOL), ओडिशा स्टेट सीड कॉर्पोरेशन लिमिटेड (OSSC) और ओडिशा स्टेट काजू विकास निगम लिमिटेड (OSCDCL) के साथ किए हैं। इस मौके पर उपमुख्यमंत्री के वी सिंह देव भी उपस्थित थे।
ओएसएससी के साथ हुए समझौते का उद्देश्य बीज उत्पादन और आपूर्ति व्यवस्था को मजबूत करना है। विभाग का कहना है कि किसानों को समय पर प्रमाणित बीज उपलब्ध कराकर उनकी मदद की जाएगी। इसके लिए बीज परिवर्तन और किस्म सुधार पर विशेष ध्यान दिया जाएगा और किसानों के बीच जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा। इस पहल के लिए 56 करोड़ रुपये का कारोबार लक्ष्य रखा गया है।
ओएआईसी के साथ हुए समझौते के तहत 45,000 टन उर्वरक खरीदने, 20 करोड़ रुपये के कीटनाशक, 7,000 ट्रैक्टर, 1,000 पावर टिलर और अन्य कृषि यंत्रों की आपूर्ति का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा 5,200 छोटे सिंचाई प्रोजेक्ट्स, 4,800 सोलर टैंक और 1,000 ट्यूबवेल लगाए जाएंगे। निर्माण कार्यों के लिए 30 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे और कुल कारोबार लक्ष्य 1,000 करोड़ रुपये तय किया गया है।
एपीआईसीओएल के साथ हुए समझौते में 6,500 नए कृषि व्यवसाय इकाइयों की स्थापना और 250 करोड़ रुपये की सब्सिडी देने की योजना है, जिसमें 200 करोड़ रुपये मुख्यमंत्री कृषि उद्योग योजना के अंतर्गत और 50 करोड़ रुपये कोल्ड स्टोरेज के लिए रखे गए हैं।
काजू विकास निगम ने बताया कि आगामी वर्ष में 500 हेक्टेयर क्षेत्र में हाईब्रिड काजू रोपण का कार्यक्रम चलेगा और 1,336 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में पेड़ों की देखरेख की जाएगी। इसके अतिरिक्त, 20 नर्सरियों से 35 लाख हाईब्रिड काजू पौध तैयार करने का लक्ष्य है।
इस कार्यक्रम के दौरान उपमुख्यमंत्री सिंह देव ने ओएआईसी और एपीआईसीओएल के प्रबंध निदेशकों को पिछले वित्त वर्ष में अच्छे प्रदर्शन के लिए सम्मानित भी किया। उन्होंने कहा कि सभी निगमों ने सराहनीय काम किया है और यह प्रगति आगे भी जारी रहनी चाहिए। सिंह देव ने यह भी बताया कि कृषि और किसान सशक्तिकरण विभाग ने स्वीकृत बजट का 94.7 प्रतिशत खर्च किया है और सरकार किसानों की भलाई और उन्नति के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।