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26 नवंबर आतंकी हमले की 17वीं बरसी पर, एक चश्मदीद गवाह ने सुनाई आपबीती, जानें क्या कहा ...

नई दिल्ली। आज की तारीख शायद ही कोई भूल सकता है। 26 नवंबर 2008 की वो काली रात जो कि देश के लिए अभिशाप बन गई थी। मुंबई महानगरी पर न जाने कौन सा बुरा साया मंडरा रहा था। मुंबई का शानदार ताज होटल आतंकियों के कब्जे में था। बता दें कि पाकिस्तान से समुद्र के रास्ते आतंकी घुसे थे। इस कड़ी में सिलसिलेवार तरीके से आतंकी हमलों को अंजाम दिया गया था। कई प्रमुख जगहों पर बम ब्लास्ट किए गए। इस घटना में करीब 166 लोगों ने अपनी जान गंवा दी। वहीं, इस हमले से जुड़ा फहीम अंसारी का नाम फिर से चर्चा में है। दूसरी ओर एक चश्मदीद मोहम्मद तौफीक शेख ने इस बुरी घटना का जिक्र किया है।
मृतकों में इनके नाम भी थे शामिल
बता दें कि मृतकों में हेमंत करकरे, विजय सालस्कर, अशोक कामटे और तुकाराम ओम्बाले जैसे मुंबई पुलिस के कई वरिष्ठ अधिकारियों के नाम भी शामिल थे।
मुंबई हाईकोर्ट में फहीम अंसारी का उठा मुद्दा
मुंबई हाईकोर्ट में एक बार फिर इस हमले से जुड़े नाम फहीम अंसारी का मुद्दा उठाया गया। सरकार के अनुसार, फहीम वही काम कर सकता है, जिसके लिए पुलिस की अनुमति या चरित्र प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं पड़े।
हाईकोर्ट में सरकार ने रखा अपना पक्ष
महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई हाई कोर्ट में बताया कि 26/11 हमले के केस में बरी हो चुके फहीम अंसारी को उन नौकरियों में कोई दिक्कत नहीं होगी, जहां पुलिस वेरिफिकेशन जरूरी नहीं होता। सरकार ने कहा है कि वह ऐसे सभी काम कर सकता है जिन्हें करने से पहले पुलिस कैरेक्टर सर्टीफिकेट (PCC) की आवश्यकता नहीं होती। बता दें कि सरकार का यह बयान 26 नवंबर के 17वीं बरसी से एक दिन पहले ही आ गया। इस हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी और 300 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
फहीम को चाहिए थी PCC
फहीम अंसारी ने इसी साल जनवरी में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट मांगा था। उसके अनुसार वह अपनी रोजी-रोटी के लिए ऑटोरिक्शा चलाना चाहता है, इसके लिए उसे PCC चाहिए।
चश्मदीद मोहम्मद तौफीक शेख ने कहा
मुंबई के 26/11 आतंकी हमले को आज 17 साल पूरे हो गए हैं। इसी कड़ी में एक चश्मदीद मोहम्मद तौफीक शेख ने कहा कि 17 साल हो गए हैं और मुझे आज भी रात को नींद नहीं आती। आज भी मैं सुबह करीब पांच या छह बजे सोता हूं। आप मुझे जब भी बुलाएंगे, दिन हो या रात मैं उठ जाऊंगा। वह अंधेरी रात भी बुधवार की थी, जिसमें बहुत सारे लोग मारे गए थे। जिसमें सभी जाति और धर्म के लोग थे, उस समय कोई हिंदू या मुसलमान नहीं देख रहा था।
तीन से चार लोगों जान बचाने में हुआ कामयाब
मोहम्मद तौफीक ने आगे कहा कि मैंने सात से आठ घायल लोगों को उठाया था। मैं कम से कम तीन से चार लोगों को बचाने में कामयाब रहा। मैंने एक रेलवे स्टाफ मेंबर को भी मरने से बचाया था। टिकट काउंटर पर, तीन या चार लोग खड़े थे और उन पर लोहे की रॉड से हमला किया जा रहा था। इसी तरह मैं भी पीछे से घायल हुआ था। जब उन्होंने गालियां दीं, तो मुझे एहसास हुआ कि वे आतंकवादी थे। बाद में, सुबह पुलिस अधिकारियों ने मुझसे बात की और मुझे चाय दी। बाद में मुझे क्राइम ब्रांच ने बुलाया था और मैंने एक व्यक्ति की पहचान की थी। क्योंकि मैंने सिर्फ एक हमलावर को देखा था, इसलिए मैं सिर्फ उसी व्यक्ति का नाम बता सका था।




