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नवरात्र का पाचंवे दिन मां स्कंदमाता! संतान प्राप्ति के लिए की जाती है माता के इस रूप की पूजा-आराधना, जानें कथा

Anjali Tyagi
27 Sept 2025 7:00 AM IST
नवरात्र का पाचंवे दिन मां स्कंदमाता! संतान प्राप्ति के लिए की जाती है माता के इस रूप की पूजा-आराधना, जानें कथा
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नई दिल्ली। पांचवां दिन मां स्कंदमाता की पूजा का दिन होता है। मां के बारे में कहा जाता है कि वह अपने संतानों खूब स्नेह लुटाती हैं। इनकी पूजा से संतान सुख मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है। इनकी पूजा-अर्चना करने से नकारात्मक शक्तियां खुद ब खुद दूर हो जाती हैं। विघ्न-बाधा भी खत्म होती है।

स्कंदमाता की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, जब राक्षस तारकासुर का अत्याचार बहुत बढ़ गया था, तो उसका अंत केवल भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र के हाथों ही संभव था। तब माता पार्वती ने अपने पुत्र स्कंद (कार्तिकेय) को युद्ध के लिए तैयार करने हेतु स्कंदमाता का रूप धारण किया। स्कंदमाता से युद्ध का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद, भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया और देवताओं को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई।

स्कंदमाता का स्वरूप

- वे सिंह पर विराजमान हैं और उनकी गोद में उनका पुत्र स्कंद (कार्तिकेय) बालक रूप में बैठा है।

- उनकी चार भुजाएं हैं, दो हाथों में कमल पुष्प हैं।

- एक हाथ वरद मुद्रा में है, जबकि दूसरे से उन्होंने पुत्र स्कंद को पकड़ा हुआ है।

- कमल पर विराजमान होने के कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है।

- उनका वर्ण शुभ्र यानी सफेद है।

पूजा विधि

सफाई- सुबह स्नान करने के बाद, पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।

स्थापना- मां स्कंदमाता की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।

गणेश पूजा- स्कंदमाता की पूजा से पहले भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की पूजा करें।

अर्पण

रंग- पीले या नारंगी रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।

फूल- मां को पीले या सफेद कमल के फूल अर्पित करें।

भोग- उन्हें केले का भोग लगाएं या केले से बनी कोई मिठाई अर्पित करें।

मंत्र जाप- घी का दीपक जलाकर मां के मंत्रों का जाप करें।

हवन और आरती- पूजा के अंत में हवन और आरती करें।

प्रसाद वितरण- भोग को परिवार में और अन्य लोगों में वितरित करें।

मां स्कंदमाता का मंत्र

"ॐ देवी स्कंदमातायै नमः" मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।

पूजा का महत्व

नवरात्रि के पाँचवें दिन स्कंदमाता की पूजा करने से भक्तों को शांति, समृद्धि, ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मां अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं और जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करती हैं।

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