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Papankusha Ekadashi: पापों पर लगाना हो अंकुश तो करें पापांकुशा एकादशी व्रत, जानें विधि और महत्व

हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत महत्व है। वर्ष में कुल मिलाकर 24 एकादशी होते हैं। आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की पापांकुशा एकादशी इस बार आज यानी शुक्रवार, 3 अक्टूबर को है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन मंत्रो का जप करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।
पापांकुशा का मतलब है- पापों पर रोक लगाना
इस एकादशी व्रत को लोग अपने पापों पर रोक लगाने के लिए करते हैं। पापांकुशा का मतलब ही है, पापों पर अंकुश लगाने वाला व्रत। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन उपवास और पूजा करने से पाप नष्ट हो जाते हैं और पुण्य प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की आराधना विशेष फलदायी मानी गई है। लेकिन पूजा में तुलसी का उपयोग करना नहीं भुलें। यह व्रत साधक को धन, सुख-समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।
इन मंत्रों के जाप से जाप से भगवान विष्णु होते प्रसन्न
सबसे पहले आप नहा धोकर साफ कपड़े पहने उसके बाद आसन पर बैठकर तुलसी की माला लेकर नीचे दिए गए मंत्रों में से एक का जाप कर सकते हैं। पापांकुशा एकादशी पर रुके हुए कार्यों की सफलता के लिए पूर्व दिशा की ओर दीपक जलाएं। इसके साथ ही भगवद गीता के 11वें अध्याय का पाठ करें। इसके साथ ही पीली वस्तुओं का दान करें।
ॐ नमो नारायणाय नमः
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् ॥
ॐ विष्णवे नमः
पापांकुशा एकादशी महत्व
ऐसी मान्यता है कि इस दिन जगतपालन कर्ता भगवान विष्णु की पूजा करने से अक्षय पुण्य फल और सुख-समृद्धि की प्राप्त होती है। यह व्रत हजार अश्वमेध यज्ञ और सौ सूर्ययज्ञ के बराबर फल देने वाला है। पद्मपुराण के मुताबिक, इस दिन सोना, तिल, भूमि, गौ, अन्न, जल, जूते और छाते का दान करने वाला इंसान यमराज के दंड से मुक्ति पाता है। रात्रि में जागरण करने से स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है।