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Pitru Paksha: पितृपक्ष में पितरों के लिए करें इन चीजों के दान, बरसेगी अपार कृपा

नई दिल्ली। सनातन धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है। पितृपक्ष आश्विन महीने की प्रतिपदा से शुरू होता है, जो कि अमावस्या तक चलता है। पितृपक्ष के दौरान लोग अपने मरे हुए पूर्वजों को याद करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे कर्मकांड करते हैं। मान्यता है कि इस दौरान दान-पुण्य करने से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है और पितृ दोष खत्म होता है। पितृपक्ष के दौरान पितरों को प्रसन्न करने के लिए आप काले तिल, चावल, दाल, घी, गुड़, चांदी, और वस्त्रों का दान कर सकते हैं।
दान करने योग्य वस्तुएं
काले तिल- पितृ दोष से मुक्ति और पितरों के आशीर्वाद के लिए काले तिल का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
अन्न और दालें- चावल, गेहूं, उड़द और मूंग जैसी दालें दान करने से जीवन में समृद्धि आती है और घर में अन्न की कमी नहीं होती।
घी- गाय के घी का दान घर में सुख और शांति बनाए रखता है और कुंडली से पितृ दोष को समाप्त करने में मदद करता है।
गुड़- गुड़ का दान पारिवारिक जीवन में खुशियां लाता है और पूर्वजों को प्रसन्न करता है, जिससे उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
चांदी- पितरों का निवास चंद्रमा के पास होता है, इसलिए चांदी का दान करना बहुत शुभ होता है। चांदी, दूध और चावल का दान करने से पितर प्रसन्न होते हैं।
वस्त्र- शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष के दौरान वस्त्र दान करने से पितरों की कृपा बनी रहती है और घर-परिवार में सुख-शांति आती है।
तांबे या पीतल के बर्तन- पीतल, तांबा या स्टील के बर्तन जैसे लोटा, थाली, कटोरी आदि का दान करने से घर में लक्ष्मी का निवास होता है।
छतरी- पितरों के निमित्त छतरी का दान करने से जीवन की बाधाओं और समस्याओं से छुटकारा मिलता है और जीवन में सुख-शांति आती है।
अन्य उपाय
तर्पण- योग्य ब्राह्मण के सानिध्य में पितरों का तर्पण करें और उन्हें दही, गुड़, और मिठाई आदि का भोजन कराएं।
दीपदान- संध्याकाल में पितरों के निमित्त तिल के तेल का दीपक जलाएं।
मंत्र जाप- पितरों के आशीर्वाद के लिए विशेष मंत्रों का जाप करें।
दान करने के बाद जलाए तेल का दीपक
पितृ पक्ष या अमावस्या जैसे शुभ दिनों में दान करने के बाद पितरों के निमित्त तिल के तेल का दीपक जलाना बहुत शुभ माना जाता है। खासकर घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा में जलाया जाने वाला यह दीपक पितरों को तृप्त करता है, उन्हें मोक्ष दिलाता है और पितृदोष को कम करता है। मान्यता है कि तिल भगवान विष्णु को प्रिय है और पितर भी भगवान विष्णु के ही रूप माने जाते हैं, इसलिए तिल का दान और तिल के तेल का दीपक पितरों को विशेष प्रिय होता है।