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प्रशांत किशोर ने ली हार की जिम्मेदारी! कहा-गांधी आश्रम में एक दिन का मौन उपवास रखूंगा...जानें क्यों

पटना। बिहार में नई सरकार के गठन की प्रक्रिया तेज हो गई है। इसको लेकर सियासी हलचल बढ़ गई है। हालांकि नीतीश कुमार ने कल राज्यपाल से मिलकर 19 तारीख को विधानसभा भंग करने की सिफारिश की है। इसके साथ ही दोनों ही गठबंधनों में बैठक का दौर जारी है। वहीं महागठबंधन में हार को लेकर मंथन जारी है। हालांकि इस बीच हार के बाद प्रशांत किशोर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की है।
हार की जिम्मेदारी मैं खुद लेता हूं
बिहार चुनाव में हार के बाद प्रशांत किशोर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा कि हमने ईमानदारी से सब कुछ किया, लेकिन सत्ता परिवर्तन नहीं कर पाए। अब एनडीए को अपने वादे पर खरा उतरना है। उन्होंने कहा कि हार की जिम्मेदारी मैं खुद लेता हूं। हम लोग चिंतन करेंगे। मैं आप सब से माफी मांगता हूं...हम लोगों ने गुनाह नहीं किया है, हम लोगों ने जातियों को नहीं बांटा।
हम सामूहिक तौर पर हारे हैं
प्रशांत किशोर ने इस दौरान कहा कि जिस दल को सिर्फ साढ़े तीन फीसदी वोट आया है, उसकी पीसी में इतने लोग आए हैं। यह दिखाता है कि हमने कुछ तो अच्छा काम किया होगा। हम व्यवस्था परिवर्तन की बात के साथ आए थे, उसमें सफलता नहीं मिली। सत्ता परिवर्तन भी हम नहीं करा सके। कुछ गलती रही होगी कि जनता ने हम पर भरोसा नहीं दिखाया। इसकी जिम्मेदारी मेरी है। मैं बिहार की जनता का विश्वास नहीं जीत पाया। हम सामूहिक तौर पर हारे हैं। आत्मचिंतन का समय है। आत्मचिंतन करेंगे। जो लोग जीतकर आए हैं, उनको बधाई।
मौन उपवास रखूंगा
वहीं पीके ने कहा कि नीतीश जी और बीजेपी को बधाई कि जिन बातों पर जीतकर आए हैं, वो वादे पूरे करें। बिहार में पलायन बंद हो। एक नई व्यवस्था की उम्मीदों पर, आकांक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाने का दोष मेरा है। मैं व्यवस्था बनाने में नाकामयाब रहा हूं। दो दिन बाद 20 तारीख से गांधी आश्रम में एक दिन का मौन उपवास रखूंगा। प्रायश्चित के तौर पर हम लोग उपवास रखेंगे। कमी रही होगी, लेकिन हम लोगों ने गुनाह नहीं किया। वोट नहीं मिलना गुनाह नहीं है। सिर उठाकर ये कह सकता हूं।
बिहार में 30-35 साल में केवल जाति की राजनीति हुई
पीके ने कहा कि जिस बिहार में 30-35 साल में केवल जाति की राजनीति हुई है, हमने जाति का जहर फैलाने का गुनाह नहीं किया है। हिंदू-मुस्लिम फैलाने का गुनाह नहीं किया। जो लोग यह करते रहे हैं, वह जीत भी गए हैं तो जवाब देना ही पड़ेगा। चक्रव्यूह का उदाहरण देते हुए पीके ने कहा कि जीत तो जन सुराज की ही होगी। कमियों को सुधार कर उतनी ही ताकत से फिर खड़े होंगे। हम बिहार नहीं छोड़ेंगे। हमारी बिहार सुधारने की जो जिद्द है, उससे पीछे नहीं हटने वाले। जितनी मेहनत करते तीन साल में आपने देखा है, उससे दोगुनी मेहनत करेंगे। जब तक बिहार को सुधारने के अपने संकल्प को पूरा न कर लें, पीछे हटने का कोई सवाल ही नहीं है।




