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व्हिस्की को लेकर मचा ऐसा बवाल कि कंपनी को बाजार से हटाने पड़ी बोतलें, जानें क्या है मामला, कैसे हुईं हिंदू भावनवाएं आहत

DeskNoida
28 May 2025 10:21 PM IST
व्हिस्की को लेकर मचा ऐसा बवाल कि कंपनी को बाजार से हटाने पड़ी बोतलें, जानें क्या है मामला, कैसे हुईं हिंदू भावनवाएं आहत
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इस व्हिस्की की बोतल हाल ही में लॉन्च की गई थी, जिसमें एक नीले रंग का लेबल और एक चेहरा बना था, जिसकी बंद आंखें और माथे पर एक निशान था, जिसे कई लोगों ने भगवान शिव के तीसरे नेत्र से जोड़ा।


धार्मिक भावनाएं आहत होने के आरोपों के बाद शराब निर्माता कंपनी रैडिको खेतान ने अपनी नई व्हिस्की 'त्रिकाल' को बाजार से हटा लिया है। यह फैसला बुधवार को लिया गया, जब कंपनी पर हिंदू धर्म के प्रतीकों के अनुचित इस्तेमाल को लेकर आलोचना बढ़ती जा रही थी।

इस व्हिस्की की बोतल हाल ही में लॉन्च की गई थी, जिसमें एक नीले रंग का लेबल और एक चेहरा बना था, जिसकी बंद आंखें और माथे पर एक निशान था, जिसे कई लोगों ने भगवान शिव के तीसरे नेत्र से जोड़ा। साथ ही, ‘त्रिकाल’ नाम भी चर्चा में आया, क्योंकि यह शिव के त्रिकालदर्शी रूप की ओर इशारा करता है, जो अतीत, वर्तमान और भविष्य को देखने वाला माना जाता है।

यह मामला तब विवाद का रूप ले गया जब कई धार्मिक संगठनों और संतों ने इस पर आपत्ति जताई। अयोध्या के संत महंत राजू दास ने इसे सनातन धर्म का अपमान बताया और कहा कि ऐसे नामों का इस्तेमाल शराब के लिए करना पूरी तरह अनुचित है। वहीं विहिप (VHP) के प्रवक्ता विनोद बंसल ने इसे संस्कृति पर हमला करार दिया और कहा कि यह एक चिंताजनक चलन बनता जा रहा है—जिसमें देवताओं की छवि जूतों, कपड़ों और अब शराब की बोतलों पर दिख रही है।

उज्जैन के महामंडलेश्वर शैलेशानंद गिरी ने इसे एक गलत प्रचार रणनीति बताया और चेतावनी दी कि आज त्रिकाल है, कल त्रिदेव होगा, जिसे सहन नहीं किया जाएगा।

सोशल मीडिया और धार्मिक संगठनों के विरोध के बीच अखिल भारतीय संत समिति जैसी संस्थाओं ने तत्काल इस उत्पाद को हटाने और माफी की मांग की। बुधवार दोपहर तक रैडिको खेतान ने यह उत्पाद वापस ले लिया। समाचार एजेंसी आईएएनएस ने दोपहर 1:31 बजे एक पोस्ट में इस खबर की पुष्टि की, जिसमें विवादित पैकेजिंग की तस्वीर भी थी। हालांकि कंपनी की ओर से कोई आधिकारिक माफी नहीं आई।

इस व्हिस्की की कीमत ₹3,500 से ₹4,500 के बीच रखी गई थी और इसे उत्तर प्रदेश, हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में उतारा गया था। कंपनी के प्रबंध निदेशक अभिषेक खेतान ने इसे भारत की प्राचीन समय-चेतना को समर्पित बताया था। लेकिन अब यह उत्पाद चुपचाप हटा लिया गया है।

इस विवाद का असर शेयर बाजार पर भी पड़ा। 26 मई को कंपनी के शेयरों में 0.51% की गिरावट दर्ज की गई और यह ₹2,440 पर बंद हुआ।

यह घटना साफ करती है कि भारत में धार्मिक आस्था के सामने रचनात्मक आज़ादी सीमित हो जाती है। यह पहली बार नहीं है जब किसी ब्रांड को धार्मिक प्रतीकों के इस्तेमाल पर विरोध का सामना करना पड़ा हो। 2019 में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (LSE) की एक स्टडी ने ऐसे टकरावों की चेतावनी पहले ही दी थी।

रैडिको खेतान, जो पहले से 8PM व्हिस्की, मैजिक मोमेंट्स वोडका और रामपुर सिंगल माल्ट जैसे ब्रांड्स के लिए जाना जाता है, ने अभी यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह 'त्रिकाल' ब्रांड को दोबारा बाजार में लाएगा या पूरी तरह बंद कर देगा।

लेकिन जो बात अब स्पष्ट है, वह यह है कि सांस्कृतिक असंवेदनशीलता की कीमत चुकानी ही पड़ती है।

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