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राहुल गांधी ने फोड़ा 'बम': चुनाव आयोग पर सवाल खड़े किए, कहा-महाराष्ट्र में 40 लाख रहस्यमयी वोटर हैं

नई दिल्ली। लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी कर्नाटक लोकसभा चुनाव में वोटर लिस्ट और वोटिंग में धांधली को लेकर को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं। इस दौरान राहुल गांधी ने बीजेपी पर निशाना साधा, साथ ही चुनाव आयोग पर हमला किया है। साथ ही उन्होंने कहा कि सत्ता-विरोधी भावना एक ऐसी चीज है जो हर लोकतंत्र में हर पार्टी को प्रभावित करती है। इसी के साथ राहुल गांधी ने महाराष्ट्र चुनाव को लेकर हमला किया। उन्होंने कहा, महाराष्ट्र में 40 लाख रहस्यमयी वोटर हैं।
हमारा अपना आंतरिक सर्वेक्षण भी शामिल है
वहीं राहुल गांधी ने कहा कि लेकिन किसी कारण से, भाजपा एक लोकतांत्रिक ढांचे में एकमात्र ऐसी पार्टी है जो मूल रूप से सत्ता-विरोधी भावना से ग्रस्त नहीं है। एग्जिट पोल, ओपिनियन पोल एक बात कहते हैं। आपने हरियाणा चुनाव में देखा, आपने मध्य प्रदेश चुनाव में देखा और फिर अचानक परिणाम बड़े पैमाने पर बदलाव के साथ पूरी तरह से अलग दिशा में चला जाता है। इसमें हमारा अपना आंतरिक सर्वेक्षण भी शामिल है, जो काफी परिष्कृत है। इसलिए, मतदान हमें कुछ दिखा रहा था, जनमत सर्वेक्षण हमें कुछ दिखा रहे थे, नियमित सर्वेक्षण हमें कुछ दिखा रहे थे, और अचानक हम पा रहे हैं कि परिणाम विपरीत दिशा में है।
महाराष्ट्र की पूरी जनसंख्या से ज्यादा वोटर जुड़े हैं
हालांकि राहुल ने इस दौरान कहा कि समय था जब इलेक्ट्रॉनिक मशीन नहीं थी, पूरा देश एक दिन वोट करता था। लेकिन आज के जमाने में यूपी में अलग-अलग वोटिंग होती है। बिहार में कभी और हो रही है। महीनों के लिए चलती है। हम इसी को लेकर चिंतित है, महीनों के लिए वोटिंग क्यों चलती है। राहुल गांधी ने कहा, महाराष्ट्र में 5 महीने में इतने वोटर जुड़े हैं जितने 5 साल में नहीं जुड़े। महाराष्ट्र की पूरी जनसंख्या से ज्यादा वोटर जुड़े हैं। जिससे और ज्यादा संदेह पैदा होता है।
चुनाव आयोग ने हमें वोटर लिस्ट देने से इनकार कर दिया
राहुल गांधी ने आगे कहा, चुनाव आयोग ने हमें वोटर लिस्ट देने से इनकार कर दिया। उन्होंने महाराष्ट्र चुनाव में कहा कि 5:30 बजे के बाद भारी मात्रा में वोटिंग हुई है। लेकिन, हम जानते हैं कि ऐसा नहीं हुआ है। वहीं उन्होंने आगे कहा कि इसमें हमारा अपना आंतरिक सर्वेक्षण भी शामिल है, जो काफी गूढ़ हैं। इसलिए, सर्वे हमें कुछ दिखा रहे थे, जनमत सर्वेक्षण हमें कुछ दिखा रहे थे, नियमित सर्वेक्षण हमें कुछ दिखा रहे थे और अचानक हम पा रहे हैं कि नतीजे उलटे दिशा में हैं।