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अनमोल अंबानी को बड़ी राहत: दिल्ली हाई कोर्ट ने यूनियन बैंक का ‘फर्जी खाता’ घोषित करने का फैसला रद्द किया

DeskNoida
19 Dec 2025 10:10 PM IST
अनमोल अंबानी को बड़ी राहत: दिल्ली हाई कोर्ट ने यूनियन बैंक का ‘फर्जी खाता’ घोषित करने का फैसला रद्द किया
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अदालत ने साफ कहा कि किसी व्यक्ति या कंपनी को धोखेबाज करार देने से पहले उन्हें कारण बताओ नोटिस देना अनिवार्य है, जो इस मामले में नहीं दिया गया।

उद्योगपति अनिल अंबानी के बेटे जय अनमोल अंबानी को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ी कानूनी राहत मिली है। दिल्ली हाई कोर्ट ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें अनमोल अंबानी से जुड़ी कंपनी के बैंक खाते को फर्जी (फ्रॉड) घोषित किया गया था। अदालत ने साफ कहा कि किसी व्यक्ति या कंपनी को धोखेबाज करार देने से पहले उन्हें कारण बताओ नोटिस देना अनिवार्य है, जो इस मामले में नहीं दिया गया।

यह फैसला जस्टिस ज्योति सिंह की एकल पीठ ने शुक्रवार को सुनाया। कोर्ट ने कहा कि बैंक की ओर से जारी किया गया कारण बताओ नोटिस उस पते पर भेजा गया था, जिसे कंपनी वर्ष 2020 में ही खाली कर चुकी थी। ऐसे में यह मानना गलत नहीं होगा कि अनमोल अंबानी को खाते को फर्जी घोषित किए जाने से पहले कोई वैध नोटिस नहीं मिला।

अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि बिना नोटिस और सुनवाई का मौका दिए किसी को धोखेबाज घोषित करना कानूनन सही नहीं है। इसी आधार पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के फैसले को रद्द किया जाता है। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि यह आदेश बैंक को आगे की कार्रवाई से नहीं रोकता। बैंक चाहें तो अनमोल अंबानी को नया कारण बताओ नोटिस जारी कर सकता है और सभी जरूरी दस्तावेज उपलब्ध कराकर उनसे जवाब मांग सकता है। जवाब मिलने के बाद बैंक नए सिरे से निर्णय ले सकता है।

यह मामला उस समय सामने आया जब यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने अक्टूबर में बिना कोई कारण बताओ नोटिस जारी किए अनमोल अंबानी से जुड़े खाते को धोखाधड़ी वाला खाता घोषित कर दिया था। इस फैसले को अनमोल अंबानी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। उनकी ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर ने दलील दी कि बैंक के अपने शपथपत्र से यह स्पष्ट है कि नोटिस उस पते पर भेजा गया था जिसे कंपनी सितंबर 2020 में छोड़ चुकी थी।

याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले का भी हवाला दिया गया, जिसमें कहा गया था कि किसी भी कर्ज लेने वाले को ‘फ्रॉड’ घोषित करने से पहले उसे नोटिस देना और अपना पक्ष रखने का पूरा मौका देना जरूरी है। कोर्ट ने इन दलीलों से सहमति जताते हुए कहा कि इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।

गौरतलब है कि सीबीआई ने जय अनमोल अंबानी और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) के खिलाफ यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में कथित धोखाधड़ी के आरोप में मामला दर्ज किया है। इस मामले में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक को करीब 228 करोड़ रुपये के नुकसान का दावा किया गया है। यह शिकायत पहले आंध्रा बैंक की ओर से दर्ज कराई गई थी, जो बाद में यूनियन बैंक में विलय हो गया।

शिकायत के अनुसार, आरएचएफएल ने मुंबई स्थित बैंक की एससीएफ शाखा से कारोबार की जरूरतों के लिए 450 करोड़ रुपये की क्रेडिट लिमिट ली थी। समय पर किश्तें नहीं चुकाने के कारण इस खाते को 30 सितंबर 2019 को नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) घोषित कर दिया गया था। अब इस पूरे मामले में हाई कोर्ट के फैसले के बाद बैंक को प्रक्रिया का सही तरीके से पालन करना होगा।

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