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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत बोले – ‘हमारा डीएनए एक है’, दिया ‘हिंदू राष्ट्र’ का नया अर्थ

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष समारोह के तहत मंगलवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित ‘100 इयर्स जर्नी ऑफ आरएसएस: न्यू होराइजन्स’ कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भारतीय सभ्यता, हिंदू राष्ट्र और साझा सांस्कृतिक पहचान पर अपने विचार रखे।
‘हिंदू राष्ट्र’ की परिभाषा
मोहन भागवत ने कहा कि:
• हिंदू राष्ट्र सत्ता से जुड़ा हुआ शब्द नहीं है और इसका मतलब किसी को बाहर करना नहीं है।
• “न्याय सबके लिए एक समान है। हिंदू राष्ट्र का अर्थ किसी का विरोध करना नहीं है। विविधता ही हमारी एकता है।”
• उन्होंने समझाया कि ‘हिंदू’ शब्द केवल धर्म से जुड़ा नहीं, बल्कि भौगोलिक, सांस्कृतिक और परंपरागत पहचान का प्रतीक है।
‘साझा डीएनए’ और परंपराएं
भागवत ने कहा, “हमारा डीएनए हजारों साल पुराना है और सबका एक ही है।
• भारत माता के प्रति भक्ति और साझा परंपराएं ही असली पहचान हैं।
• विविधता को असमानता नहीं, बल्कि समानता और एकता का आधार माना जाना चाहिए।
भारत का लक्ष्य – ‘विश्वगुरु’
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के 75 वर्षों में भारत अपने वांछित दर्जे तक नहीं पहुंच पाया। लेकिन अब समय आ गया है कि भारत ‘विश्वगुरु’ बने।
• इस परिवर्तन के लिए केवल सरकार या पार्टियों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।
• समाज में धीरे-धीरे बदलाव और हर नागरिक की भूमिका महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम में शामिल दिग्गज
इस अवसर पर कई प्रमुख हस्तियां मौजूद थीं, जिनमें –
• योग गुरु रामदेव
• जेडीयू नेता केसी त्यागी
• भाजपा सांसद और अभिनेत्री कंगना रनौत
• केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और अनुप्रिया पटेल
इसके अलावा 25 देशों के दूतावास प्रतिनिधि (चीन, अमेरिका, रूस, इज़रायल, डेनमार्क आदि) और विभिन्न थिंक टैंक्स के सदस्य भी शामिल हुए।
आरएसएस का आगे का कार्यक्रम
आरएसएस ने अपनी शताब्दी के उपलक्ष्य में देशभर में 1 लाख से अधिक हिंदू सम्मेलन (Hindu Sammelan) आयोजित करने का ऐलान किया है।
इनकी शुरुआत 2 अक्टूबर विजयादशमी को नागपुर मुख्यालय से होगी, जहां मोहन भागवत संबोधन देंगे।