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Sawan Special: कहानी ऐसे शिव मंदिर की जिसे भगवान विष्णु ने स्वयं बनाया था, जानें कहां पर है मंदिर

मधेपुरा। बिहार के मधेपुरा जिला अंतर्गत सिंहेश्वर में महादेव का एक अति प्राचीन मंदिर है। कहते हैं कि सिंहेश्वेर के इस शिव मंदिर को किसी काल में स्वयं भगवान विष्णु ने बनाया था। अनुश्रुतियों के अनुसार मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जन्म के निमित्त पुत्रेष्टि यज्ञ भी यहीं हुआ था। एक धारणा यह भी है कि शिव पुराण के रुद्र संहिता खण्ड में वर्णित महर्षि दधिचि और राजा ध्रुत के बीच अंतिम संघर्ष यहीं हुआ था। ऐसा भी कहा जाता है कि पांडवों ने विराटनगर नेपाल के भीम बांध क्षेत्र में शरण लेने के पश्चात सिंहेश्वर में शिव की पूजा की थी।
सिंघेश्वर स्थान
सिंघेश्वर स्थान, मधेपुरा, बिहार में स्थित एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है। यह मंदिर श्रृंगी ऋषि की तपोभूमि पर बना है और इसे श्रृंगेश्वर या सिंहेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु और ब्रह्मा ने सबसे पहले यहां शिवलिंग की पूजा की थी। यह मंदिर मधेपुरा जिले के सिंहेश्वर प्रखंड मुख्यालय में स्थित है और यहां से लगभग 8 किलोमीटर दूर है।
क्या है मंदिर का इतिहास
मंदिर काफी पुराना एवं ऐतिहासिक महत्व का है। मंदिर का नीचे का भाग किसी पहाड़ से जुड़ा हुआ है। शिवलिंग स्थापना के संदर्भ में कोई प्रामाणिक दस्तावेज नहीं है लेकिन इस बारे में कई किदवंती प्रचलित है। प्रचलित एक किदवंती के अनुसार कई सौ साल पहले यब क्षेत्र घने जंगल से घिरा हुआ था। यहां अगल-बगल के गोपालक अपनी गायों को चराने आते थे। एक कुंवारी कामधेनु गाय प्रत्येक दिन एक निश्चित जगह पर खड़ा होती तो स्वतः ही उसके थान से दूध गिरने लगती थी। एक दिन गोपालक ने यह दृश्य खुद देख लिया। सबों ने मिलकर खुदाई की तो शिवलिंग मिला।
वहीं प्रचलित एक किदवंती के अनुसार एक बार भगवान शिवहिरण का वेष धारण कर पृथ्वी लोक चले आए। इधर सभी देवी देवता उन्हें ढूंढने लगे इसी बीच पता चला कि भगवान शिव पृथ्वीलोक पर हैं। भगवान ब्रह्मा एवं बिष्णु उन्हें ले जाने पृथ्वीलोक आ गए जहां हिरण तो मिला लेकिन हिरण रूपी भगवान शिव जाने को तैयार न हुए। इसपर भगवान ब्रह्मा एवं बिष्णु ने जबरन ले जाने चाहा लेकिन हिरण गायब हो गए और आकाशवाणी हुई कि भगवान शिव आपको नहीं मिलेंगे। बताया जाता है भगवान बिष्णु के द्वारा स्थापित सिंग ही बाबा सिंहेश्वर नाथ है।
सिंहेश्वर स्थान मंदिर की कुछ प्रमुख विशेषताएं
ऐतिहासिक महत्व- कहा जाता है कि पांडवों ने भी विराटनगर (नेपाल) में शरण लेने के बाद यहां शिव की पूजा की थी। मध्ययुग में, मंडन मिश्र और शंकराचार्य के बीच शास्त्रार्थ भी यहीं हुआ था।
श्रृंगी ऋषि का स्थान- यह मंदिर श्रृंगी ऋषि की तपोभूमि है, जिन्होंने राजा दशरथ के लिए पुत्रेष्ठि यज्ञ किया था।
धार्मिक महत्व- सिंहेश्वर महादेव को भक्तों द्वारा बहुत श्रद्धा से पूजा जाता है और यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।
आकर्षण- यहां हर साल शिवरात्रि के अवसर पर एक बड़ा मेला लगता है, जिसमें बड़ी संख्या में भक्त शामिल होते हैं।