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Sawan special: अहंकार त्यागने पर ही मिलेगी शिव की शरण , जानें कैसे प्रसन्न होते हैं भोलेनाथ

Shilpi Narayan
9 July 2025 8:00 AM IST
Sawan special: अहंकार त्यागने पर ही मिलेगी शिव की शरण , जानें कैसे प्रसन्न होते हैं भोलेनाथ
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सावन का महीना आने वाला है। शिव भक्त इस महीने भगवान भोले की खास पूजा करते हैं। खास करके सावन में आने वाले सोमवार का भी विशेष महत्व है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और शिवालयों खास अराधना करते हैं। इस बार 11 जुलाई से सावन की शुरुआत होने जा रही है।

यहां बाघ की छाल का यह अर्थ है

दरअसल, भगवान शिव को बाघम्बर भी कहा जाता है, क्योंकि वह बाघ की छाल के आसन पर विराजमान रहते हैं और इसे वस्त्र के रूप में भी धारण करते हैं। यहां बाघ की छाल का अर्थ है व्यक्ति का अहंकार। इस संकेत को इस रूप में देखा जा सकता है। जो भी व्यक्ति अपना अहंकार त्याग देता है, उसे भगवान शिव की शरण मिलती है।

व्यक्ति को अपने अंदर की सभी बुराइयों त्याग करना चाहिए

बता दें कि भगवान शिव की पूजा में जो चीजें अर्पित की जाती हैं, उसमें भांग और धतूरा भी शामिल है, जिनकी प्रकृति कड़वी या जहरीली होती है। ऐसे में इन चीजों को भगवान भोले पर अर्पित करने का अर्थ है कि व्यक्ति को अपने अंदर की सभी बुराइयों और कड़वाहट का त्याग भी कर देना चाहिए। साथ ही अपने आप को निर्मल बनाना चाहिए।

अपनी भक्ति के दम पर ही व्यक्ति आम से खास बन जाता है

वहीं नंदी महाराज को भगवान शिव की सवारी के रूप में जाना जाता है। साथ ही वह भगवान के सच्चे भक्त भी थे। हिंदू धर्म में नंदी महाराज को धर्म, ज्ञान और शक्ति के रूप में देखा जाता है। नंदी महराज से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर आप भगवान के प्रति सच्ची श्रद्धा रखते हैं, तो इससे आपको एक अलग पहचान मिलती है। अपनी भक्ति के दम पर ही व्यक्ति आम से खास बन जाता है।

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