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SC: धर्मांतरण कानूनों पर 4 राज्यों से मांगे गए लिखित जवाब, जानें किस-किस राज्य से

Aryan
16 Sept 2025 2:56 PM IST
SC: धर्मांतरण कानूनों पर 4 राज्यों से मांगे गए लिखित जवाब, जानें किस-किस राज्य से
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कानूनों का उद्देश्य जबरन धर्मांतरण एवं लव जिहाद जैसी घटनाओं पर रोक लगाना है।

नई दिल्ली। देश में धर्मांतरण कानून के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कई राज्यों में लागू हुए धर्मांतरण कानूनों पर रोक लगाने वाली मांग पर सुनवाई शुरू कर दी है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चार राज्य सरकारों से चार हफ्तों के भीतर जवाब देने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई छह हफ्तों के बाद होगी।

कानूनों का उद्देश्य जबरन धर्मांतरण एवं लव जिहाद पर रोक लगाना

जानकारी के मुताबिक, कुछ साल पहले ही कई राज्यों जैसे मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा एवं गुजरात में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू हुए हैं। दरअसल, इन कानूनों का उद्देश्य जबरन धर्मांतरण एवं लव जिहाद जैसी घटनाओं पर रोक लगाना है। लेकिन इन कानूनों को लेकर लगातार विवाद उभरकर सामने आ रहे हैं।

धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन

कुछ याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, ये कानून नागरिकों का मौलिक अधिकार और धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार छीन रहा है। अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है।

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस के.विनोद चंद्रन की बेंच ने कहा

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस के.विनोद चंद्रन की बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं की मांग पर विचार किया जाएगा। बता दें, कोर्ट ने लागू कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर राज्य सरकारों से जवाब मांगा है।

धर्मांतरण कानून क्या हैं

इन कानूनों में बल, प्रलोभन या धोखाधड़ी से किए गए धर्मांतरण को अपराध माना गया है।

धर्मांतरण से पहले नोटिस देना

कुछ राज्यों में धर्मांतरण करने वालों को पहले प्रशासन को सूचना देना होता है।

कड़ी सजा का प्रावधान

इन कानूनों की अवहेलना करने पर कड़ी सजा और जुर्माने का प्रावधान है।

हालांकि, कुछ लोगों का कहना है कि ये कानून प्रेम विवाह पर रोक लगाने और धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के लिए एक हथियार के रूप में इस्तेमाल हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में भी इसी बात पर चिंता जाहिर की गई है।

अगली सुनवाई होगी छह हफ्ते बाद

सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई छह हफ्तों के बाद करेगी। सभी राज्य सरकारों से लिखित जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है।



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