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सूर्य ग्रहण के बीच शुरू होंगे शारदीय नवरात्र! जानें कैसे करें नौ माताओं की भक्तिपूर्ण तरीके से पूजा

Anjali Tyagi
22 Sept 2025 8:00 AM IST
सूर्य ग्रहण के बीच शुरू होंगे शारदीय नवरात्र! जानें कैसे करें नौ माताओं की भक्तिपूर्ण तरीके से पूजा
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नई दिल्ली। शारदीय नवरात्रि 2025 सोमवार, 22 सितंबर से शुरू होगी। हालांकि, 21-22 सितंबर की दरमियानी रात में आंशिक सूर्य ग्रहण लग रहा है, पर यह भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए, इसका नवरात्रि और घटस्थापना पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। धार्मिक कार्यों पर केवल वही ग्रहण असर डालते हैं, जो सीधे तौर पर दिखाई देते हैं।

सूर्य ग्रहण का नवरात्रि पर प्रभाव

चूंकि यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, इसलिए नवरात्रि के अनुष्ठानों और पूजा-पाठ पर इसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होगा। भक्त बिना किसी चिंता के शुभ मुहूर्त में घटस्थापना कर सकते हैं और पूरे विधि-विधान के साथ नवरात्रि का पर्व मना सकते हैं।

दिन-वार नौ माताओं की पूजा

1. पहला दिन (22 सितंबर)- मां शैलपुत्री

पूजा- घटस्थापना और अखंड ज्योति जलाएं।

भोग- गाय के घी से बनी मिठाई।

महत्व- यह दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप को समर्पित है।

2. दूसरा दिन (23 सितंबर)- मां ब्रह्मचारिणी

पूजा- इस दिन ब्रह्मचारिणी माता की पूजा की जाती है।

भोग- मां को शक्कर का भोग लगाएं।

महत्व- यह माता का दूसरा स्वरूप है।

3. तीसरा दिन (24 सितंबर): मां चंद्रघंटा

पूजा- माता चंद्रघंटा की पूजा करें।

भोग- मां को दूध से बनी मिठाई या खीर का भोग लगाएं।

महत्व- यह शांति और शक्ति का प्रतीक है।

4. चौथा दिन (25 सितंबर)- मां चंद्रघंटा

पूजा- तृतीया तिथि के दो दिन होने के कारण, इस दिन भी मां चंद्रघंटा की पूजा होगी।

भोग- दूध से बनी मिठाई या खीर का भोग लगाएं।

महत्व- यह विशेष फलदायी माना जाता है।

5. पांचवां दिन (26 सितंबर)- मां कूष्माण्डा

पूजा- माता कूष्माण्डा की पूजा करें।

भोग- मां को मालपुआ का भोग लगाएं।

महत्व- ये देवी रोग और कष्टों को दूर करती हैं।

6. छठा दिन (27 सितंबर)- मां स्कंदमाता

पूजा- स्कंदमाता की पूजा करें।

भोग- मां को केले का भोग लगाएं।

महत्व- यह देवी मातृत्व का प्रतीक है।

7. सातवां दिन (28 सितंबर)- मां कात्यायनी

पूजा- कात्यायनी माता की पूजा करें।

भोग- मां को शहद का भोग लगाएं।

महत्व- यह देवी बुरी शक्तियों का नाश करती हैं।

8. आठवां दिन (29 सितंबर)- मां कालरात्रि

पूजा- कालरात्रि माता की पूजा करें।

भोग- मां को गुड़ का भोग लगाएं।

महत्व- ये देवी हर प्रकार के भय को दूर करती हैं।

9. नौवां दिन (30 सितंबर)- मां महागौरी

पूजा- महागौरी माता की पूजा करें और कन्या पूजन करें।

भोग- नारियल का भोग लगाएं।

महत्व- यह दिन कन्या पूजन और अष्टमी के लिए शुभ होता है।

10. दसवां दिन (1 अक्टूबर)- मां सिद्धिदात्री

पूजा- यह महानवमी का दिन है, मां सिद्धिदात्री की पूजा करें और हवन करें।

भोग- मां को तिल का भोग लगाएं।

महत्व- इस दिन से देवी भक्तों को हर प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं।

दुर्गा विसर्जन (2 अक्टूबर)

पूजा- विजयादशमी के दिन दुर्गा विसर्जन किया जाता है।

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