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शशि थरूर ने कहा-Tariff से भारत को नुकसान हुआ है लेकिन बड़ी तस्वीर को देखिए, जानें क्या

नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने टैरिफ लगाए जाने को लेकर और H-1B वीजा आवेदन शुल्क में बढ़ोतरी पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि टैरिफ लगाए जाने और H-1B वीजा आवेदन शुल्क में बढ़ोतरी के बावजूद दोनों देश अपनी-अपनी सरकारों के विभिन्न स्तरों पर अभी भी सहयोग कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों को भले ही अल्पकालिक झटका लगा हो, लेकिन दोनों देशों के दीर्घकालिक हित अंततः उन्हें 'एक समान स्तर पर' लाएंगे।
छात्रों से लेकर सिलिकॉन वैली के सीईओ तक शामिल
दरअसल, एक इंटरव्यू के दौरान जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत और अमेरिका के संबंध ऐसे मोड़ पर हैं, जहां से वापसी संभव नहीं इसके जवाब में उन्होंने कहा कि रक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष और अन्य क्षेत्रों में सहयोग के अलावा, भारत और अमेरिका अभी भी वास्तविक मूलभूत सिद्धांतों को साझा करते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग रहते हैं, जिनमें छात्रों से लेकर सिलिकॉन वैली के सीईओ तक शामिल हैं। थरूर ने इस दौरान कहा कि नहीं, मैं यह नहीं कहूंगा कि यह वापसी का कोई रास्ता नहीं है। क्योंकि मेरा मानना है कि दोनों देशों के दीर्घकालिक हित अंततः हमें एक समान स्तर पर वापस लाएंगे।
विभिन्न स्तरों पर बहुत सहयोग हो रहा है
दरअसल, कांग्रेस नेता ने इस दौरान आगे कहा कि यह निश्चित रूप से अल्पकालिक समय में एक बहुत बड़ा झटका है। इससे हमें नुकसान हो रहा है। भारत में नौकरियां जा रही हैं, नुकसान हो रहा है। भारत के लिए इस साल निस्संदेह यह एक बुरी खबर है। लेकिन बड़ी तस्वीर को देखिए। उन्हें विश्वास है कि दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग जारी रहेगा, क्योंकि नई दिल्ली और वाशिंगटन दोनों ही सरकार के विभिन्न स्तरों पर काम कर रहे हैं, जो किसी भी तरफ से रुकता हुआ नहीं दिख रहा है। साथ ही कांग्रेस सांसद ने कहा कि क्या अमेरिका, ट्रंप जो भी करें, भारत को पूरी तरह से खत्म करने की तैयारी कर रहा है? फिलहाल, ऐसा सोचने का कोई कारण नहीं है। रक्षा, खुफिया जानकारी शेयर करने, सहयोग के कई क्षेत्रों, अंतरिक्ष से लेकर आईटी और एआई आदि सभी क्षेत्रों में, शासनाध्यक्षों के स्तर से भी नीचे, विभिन्न स्तरों पर बहुत सहयोग हो रहा है।
अमेरिका में 59 लाख लोग भारतीय के रूप में पहचान रखते हैं
थरूर ने दोनों देशों के बीच के संबंध को लेकर कहा कि 40 लाख से ज्यादा अमेरिकी भारतीय मूल के हैं, भारत के लोग देश में अंतरराष्ट्रीय छात्रों का सबसे बड़ा एकल समूह भी बनाते हैं, और अमेरिका में जन्म से गैर-अमेरिकी सीईओ की सबसे बड़ी संख्या भी भारतीयों की है। अमेरिकी जनगणना ब्यूरो और अमेरिकन कम्युनिटी सर्वे (एसीएस) 2023 के अनुमानों के अनुसार, अमेरिका में लगभग 59 लाख लोग भारतीय के रूप में पहचान रखते हैं, चाहे अकेले या अन्य जातीय और नस्लीय समूहों के साथ, भारतीय अब देश में एशियाई आबादी के 21 प्रतिशत से ज्यादा हैं। अनुमानों के अनुसार, चीनी मूल के लोग देश में दूसरा सबसे बड़ा समूह हैं।