
- Home
- /
- मुख्य समाचार
- /
- वायु प्रदूषण पर सपा...
वायु प्रदूषण पर सपा सांसद का विवादित बयान, शवदाह और होलिका दहन को ठहराया जिम्मेदार; गिरिराज सिंह का तीखा पलटवार

दिल्ली-एनसीआर समेत देश के कई हिस्सों में लंबे समय से वायु प्रदूषण गंभीर समस्या बना हुआ है। इसी मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी का एक बयान राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है। लखनऊ के पास मोहनलालगंज लोकसभा सीट से सांसद आरके चौधरी ने शवों को जलाने और होलिका दहन को भी प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराया, जिस पर भारतीय जनता पार्टी के सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कड़ा पलटवार किया है।
सपा सांसद आरके चौधरी ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि वह स्वयं पर्यावरण मंत्री रह चुके हैं और जिस तरीके से देश में पर्यावरण संरक्षण पर काम हो रहा है, वह गलत दिशा में है। उन्होंने कहा कि शवदाह के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी गैसें निकलती हैं, जो वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा को कम करती हैं। इसी तरह, होलिका दहन के समय बड़े पैमाने पर आग जलाने से भी यही गैसें निकलती हैं, जिससे प्रदूषण बढ़ता है।
आरके चौधरी का कहना था कि देश में अधिकतर एनजीओ और सरकारी विभाग पेड़ लगाने पर जोर देते हैं, लेकिन असल जरूरत ऑक्सीजन उत्पादन बढ़ाने और कार्बन डाइऑक्साइड को कम करने की है। उन्होंने दावा किया कि पूरे देश में हर साल करोड़ों स्थानों पर होलिका दहन होता है, जिससे एक साथ भारी मात्रा में ऑक्सीजन की खपत होती है। उनके अनुसार यह मुद्दा धर्म से जुड़ा नहीं है, बल्कि इंसानों और जानवरों की सेहत से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि जो गैसें मनुष्य और पशुओं के लिए हानिकारक हैं, उन्हें हर हाल में नियंत्रित किया जाना चाहिए और शवदाह के लिए वैकल्पिक इंतजामों पर गंभीरता से विचार होना चाहिए।
सपा सांसद के इस बयान पर भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया दी। गिरिराज सिंह ने कहा कि यदि किसी को ऐसे विचार आते हैं तो उन्हें अपना धर्म बदल लेना चाहिए। उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि हिंदू धर्म में दाह संस्कार की परंपरा सीमित स्थान में होती है, जबकि अन्य धर्मों में दफनाने के लिए ज्यादा जमीन ली जाती है। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक विवाद और गहरा गया है।
गौरतलब है कि दिल्ली और आसपास के इलाकों में ठंड के मौसम में वायु प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है। इससे न केवल दृश्यता कम होती है, बल्कि सांस संबंधी बीमारियों, आंखों में जलन और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा भी बढ़ जाता है। प्रदूषण को लेकर पहले ही पराली जलाने, वाहनों के धुएं और औद्योगिक उत्सर्जन पर बहस होती रही है। अब शवदाह और धार्मिक परंपराओं को लेकर दिए गए इस बयान ने एक नई राजनीतिक और सामाजिक बहस को जन्म दे दिया है।
फिलहाल, वायु प्रदूषण के समाधान को लेकर केंद्र और राज्य सरकारें विभिन्न कदम उठाने की बात कर रही हैं, लेकिन इस मुद्दे पर नेताओं के बयानों ने एक बार फिर सियासी माहौल गरमा दिया है।




