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Supreme Court: जमीन मुआवजे और अधिग्रहण कानून पर भड़का कोर्ट, NHAI के फैसले को बताया गलत...जानें पूरा मामला

Aryan
9 Sept 2025 1:02 PM IST
Supreme Court: जमीन मुआवजे और अधिग्रहण कानून पर भड़का कोर्ट, NHAI के फैसले को बताया गलत...जानें पूरा मामला
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भूमि अधिग्रहण अधिनियम एवं अन्य कानूनों के तहत छोटे राज्य अधिग्रहणों के लिए भी न्यायिक निगरानी की जरूरत होती है

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान एनएचआई को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के प्रावधानों की निंदा की है। इस कानून के जरिए भूमि मालिकों को न्यायिक मदद से वंचित रखा जा रहा है। इसमें अदालत के न्यायाधीश की जगह नौकरशाहों को न्यायिक शक्तियां प्रदान की गई हैं।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने खड़े किए सवाल

सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने एनएचआई के दोहरे मापदंड पर सवाल खड़े किए हैं। इनके अनुसार इस कानून में मुआवजे के निर्धारण का अधिकार सरकार के अधिकारियों को दे दिया गया है। जबकि भूमि अधिग्रहण अधिनियम एवं अन्य कानूनों के तहत छोटे राज्य अधिग्रहणों के लिए भी न्यायिक निगरानी की जरूरत होती है।

हाईकोर्ट ने एनएचएआई 3जे अधिनियम की धारा और 3जी को असंवैधानिक कहा था

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के भूमि अधिग्रहण मुआवजा नियमों को लेकर सुनवाई कर रहा था। ये पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुनवाई हो रही थी। हाईकोर्ट ने एनएचएआई 3जे अधिनियम की धारा और 3जी को असंवैधानिक घोषित करते हुए रद्द कर दिया था। क्योंकि ये नियम भूस्वामियों को निष्पक्ष मुआवजा एवं सुनवाई का अधिकार नहीं देते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एनएचएआई का मुआवजा तय करने का तरीका एकपक्षीय है। यह संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 300ए का उल्लंघन करता है, जिसमें समानता और संपति अधिकार शामिल है।

कोर्ट ने कहा कि मुआवजा तय करने के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष व्यवस्था होनी चाहिए। इसमें किसी जज को फैसला लेना चाहिए। वर्तमान में, एनएचएआई अधिनियम के तहत मुआवजे का फैसला कलेक्टर तय करता है। फिर उसका फैसला अपील में ऊपरी नौकरशाहों के पास जाता है। लेकिन, कोर्ट ने कहा कि इस प्रक्रिया में स्वतंत्र जज की कमी से निष्पक्षता खत्म हो जाती है।

गौरतलब है एनएचएआई अधिनियम में भूस्वामियों को पुराने भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 के तहत मिलने वाले अतिरिक्त लाभ 30% क्षतिपूर्ति एवं 9-15% ब्याज नहीं दिए जाते हैं कि जो सही नहीं है।


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