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Uttar Pradesh के 5000 सरकारी विद्यालयों के विलय मामले के याचिका पर सुप्रीम कोर्ट तैयार, जानें पूरा मामला

लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य के तकरीबन 5000 सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों का नजदीकी स्कूलों में विलय करने के फैसले के खिलाफ सुनवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हामी भर दी है।
याचिका दायर की गई
याचिका तैय्यब खान सलमानी ने दाखिल किया है, याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता की ओर से उनके वकील प्रदीप कुमार यादव ने जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता के तहत वाली पीठ के समक्ष जल्द से जल्द सुनवाई की मांग की, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। इस याचिका के मामले में कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने सोमवार को लखनऊ में योगी सरकार आरोप लगाया है। प्रियंका गांधी ने कहा कि मुख्यमंत्री गरीब, असहाय और वंचित वर्ग के बच्चों से उनके शिक्षा का अधिकार छीन रहे हैं।
याचिका में किया गया दावा
याचिका में ये दावा किया गया है कि इस फैसले से लगभग 3.5 लाख से अधिक छात्रों का महंगे निजी स्कूलों में पढना मजबूरी हो जाएगी। ये भी कहा गया है कि स्कूलों के विलय में रास्तों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। कई स्कूलों के रास्ते में नदी, नाले या रेलवे ट्रैक आदि हैं, जिससे बच्चों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। इसपर सरकार को ध्यान देना चाहिए।
हाईकोर्ट के फैसले को दी गई चुनौती
इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीतापुर के छात्रों द्वारा दायर किए गए याचिका को खारिज करते हुए स्कूल विलय नीति को वैध करार दिया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सरकार का यह फैसला बच्चों के हित में है। इस तरह की नीतिगत निर्णयों में तब तक हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता जब तक वह असंवैधानिक कार्य न हो। हाईकोर्ट के इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, जिसमें कहा गया कि ये फैसला शिक्षा के अधिकार कानून का उल्लंघन करता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने क्या कहा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकारी स्कूलों के विलय को शिक्षक व छात्रों के हित में बताया है। उन्होंने कहा कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा। मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि विद्यालयों में दूरगामी और व्यापक दृष्टिकोण अपनाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन विद्यालयों में 50 से अधिक छात्र अध्ययनरत हैं, उन्हें स्वतंत्र विद्यालय के रूप में संचालित करने का निर्देश दिया गया, जिससे प्रशासनिक सुविधा और शैक्षणिक निगरानी अधिक प्रभावी काम कर पाएगी।
राज्य स्तर पर विरोध
अकेले लखनऊ में ही लगभग 445 स्कूलों के विलय की योजना बनी है। राज्य स्तर पर शिक्षक संगठनों द्वारा इस निर्णय का विरोध किया जा रहा है। शिक्षकों का कहना है कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर तो असर पड़ेगा ही साथ ही छात्रों को जोखिम भरे रास्तों से गुजरते हुए स्कूल जाना पड़ेगा। जबकि सरकार का कहना है कि इससे संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकेगा साथ ही छात्रों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।