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मेरठ में बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त सवाल—बाकी अवैध निर्माण ध्वस्त क्यों नहीं किए?

DeskNoida
1 Dec 2025 10:40 PM IST
मेरठ में बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त सवाल—बाकी अवैध निर्माण ध्वस्त क्यों नहीं किए?
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विभाग ने अपनी अनुपालन रिपोर्ट कोर्ट में जमा कर दी है, जिसमें कहा गया है कि कॉम्पलेक्स संख्या 661/6 को ध्वस्त करने के लिए आवश्यक फोर्स उपलब्ध करा दी गई थी।

मेरठ के सेंट्रल मार्केट में अवैध निर्माणों पर कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने आवास एवं विकास परिषद से पूछा कि कॉम्पलेक्स संख्या 661/6 को तो ध्वस्त कर दिया गया, लेकिन उसी तरह के बाकी अवैध निर्माणों पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई? कोर्ट ने यह सवाल एक अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान उठाया और परिषद से दो महीने के भीतर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

यह जानकारी याचिकाकर्ता और आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश खुराना के अधिवक्ता तुषार जैन ने दी। उन्होंने बताया कि पुलिस विभाग ने अपनी अनुपालन रिपोर्ट कोर्ट में जमा कर दी है, जिसमें कहा गया है कि कॉम्पलेक्स संख्या 661/6 को ध्वस्त करने के लिए आवश्यक फोर्स उपलब्ध करा दी गई थी। हालांकि, आवास एवं विकास परिषद अपनी रिपोर्ट दाखिल करने में असफल रही, जिससे कोर्ट नाराज़ हो गया।

सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि 2013 में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश का पूरी तरह से पालन कराया जाना चाहिए। उस आदेश में भूमि उपयोग परिवर्तन के आधार पर किए गए सभी अवैध व्यावसायिक निर्माणों को ध्वस्त करने के निर्देश दिए गए थे। परिषद द्वारा केवल एक कॉम्पलेक्स को ध्वस्त करने की कार्रवाई पर कोर्ट ने आपत्ति जताई और पूछा कि बाकी निर्माणों को बख्शा क्यों गया?

इस पर परिषद के अधिवक्ता कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके और अतिरिक्त समय की मांग की। कोर्ट ने इस पर दो महीने का समय देते हुए आदेश दिया कि निर्दिष्ट अवधि के भीतर पूर्ण अनुपालन रिपोर्ट दाखिल की जाए। कोर्ट का आदेश अभी वेबसाइट पर अपलोड नहीं हो सका है।

मंडलायुक्त का आदेश बना अड़चन

सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर 2024 को दिए गए अपने फैसले में कॉम्पलेक्स संख्या 661/6 को ध्वस्त करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा था। इसके साथ ही शास्त्रीनगर आवासीय योजना के अंतर्गत चिह्नित 1478 अवैध निर्माणों को भी ध्वस्त करने का निर्देश दिया गया था। परिषद ने लगभग दस महीने की देरी के बाद 25 अक्टूबर को यह कॉम्पलेक्स तोड़ दिया।

लेकिन इसके दो दिन बाद 27 अक्टूबर को तत्कालीन मंडलायुक्त ह्रषिकेश भास्कर यशोद ने एक आदेश जारी कर शेष अवैध निर्माणों पर कार्रवाई रोक दी। आदेश में सेंट्रल मार्केट को बाजार स्ट्रीट क्षेत्र घोषित कर व्यापारियों को राहत देने का प्रस्ताव तैयार करने को कहा गया था। इसी वजह से बाकी अवैध निर्माणों पर बुलडोजर कार्रवाई आगे नहीं बढ़ सकी।

वीरों पर फिर टंगी तलवार

सुप्रीम कोर्ट के कठोर रुख के बाद अब सेंट्रल मार्केट में अवैध निर्माण करने वाले व्यापारियों पर फिर से ध्वस्तीकरण की तलवार लटक गई है। यदि क्षेत्र को बाजार स्ट्रीट घोषित करना है, तो आवास एवं विकास परिषद की बोर्ड बैठक से प्रस्ताव पास होना आवश्यक है। इसके बाद मेरठ विकास प्राधिकरण की बैठक में मास्टर प्लान 2031 में संशोधन होगा, तभी इस क्षेत्र को आधिकारिक दर्जा मिलेगा। इसके बाद भी व्यापारियों को नई आवास नीति और बाजार स्ट्रीट नियमों के तहत दुकानों और कॉम्पलेक्स के नक्शे पास कराने होंगे, तभी अवैध निर्माण वैध माना जाएगा।

फिलहाल मामला कोर्ट की निगरानी में है और आने वाले दो महीनों में परिषद को यह साबित करना होगा कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन कर रही है या नहीं।

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