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संविधान सिर्फ किताब नहीं, बल्कि देश की बुनियाद है, महापरिनिर्वाण दिवस पर बोले अखिलेश यादव

Shilpi Narayan
6 Dec 2025 12:55 PM IST
संविधान सिर्फ किताब नहीं, बल्कि देश की बुनियाद है, महापरिनिर्वाण दिवस पर बोले अखिलेश यादव
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नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने डॉ बीआर अम्बेडकर की पुण्यतिथि और महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर एक मजबूत राजनीतिक संदेश जारी किया है। इस संदेश में उन्होंने स्पष्ट कहा कि देश का नारा ‘जय जवान, जय किसान, जय संविधान’ होना चाहिए। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने चेताया कि संसद में संविधान की रक्षा पर बहस होना लोकतंत्र के लिए दुखद संकेत है और यह स्थिति बताती है कि लोकतांत्रिक ढांचे पर गंभीर संकट मंडरा रहा है।

संविधान पर संकट का मतलब लोकतंत्र पर संकट

अखिलेश यादव ने साफ कहा कि संविधान सिर्फ किताब नहीं, बल्कि देश की बुनियाद है और इसका कमजोर होना लोकतंत्र को कमजोर करने जैसा है। उन्होंने कहा कि जो लोग संविधान को कमजोर करना चाहते हैं, वे एकतंत्र की ओर देश को धकेलना चाहते हैं। अखिलेश ने आरोप लगाया कि संविधान जनता को अधिकार देता है और जो ताकतें लोगों के अधिकार छीनना चाहती हैं, वे संविधान विरोधी हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि संविधान ही लोकतंत्र का कर्म ग्रंथ है और इसलिए इसे बचाना हर नागरिक की जिम्मेदारी है। उन्होंने दोहराया कि देश को ‘मन-विधान’ से नहीं, बल्कि संविधान से चलना चाहिए क्योंकि यही देश की दिशा और दशा तय करता है।

संविधान ही PDA समाज का प्रकाश स्तंभ है

उन्होंने आगे लिखा कि संविधान ही PDA समाज का प्रकाश स्तंभ है क्योंकि यह व्यक्ति की गरिमा, प्रतिष्ठा और सुरक्षा सुनिश्चित करता है। उनका कहना था कि संविधान 90% शोषित, वंचित, उपेक्षित और पीड़ित जनता का सच्चा संरक्षक है। उन्होंने इसे राष्ट्र का रक्षा कवच, ढाल और सबसे बड़ा मददगार बताते हुए कहा कि संविधान है तो ही सुरक्षा और शक्ति है। अखिलेश ने बार-बार दोहराया कि PDA के लिए संविधान बचाना जीवन-मरण का विषय है और जो लोग संविधान नहीं मानते, उनके लिए यह सिर्फ एक कोरा पन्ना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि संविधान को निष्क्रिय करना स्वतंत्रता को निष्क्रिय करने जैसा है।

संविधान ही लोकतंत्र की प्राणवायु

अखिलेश यादव ने कहा कि लोकतंत्र की प्राणवायु संविधान को कमजोर कर शासन करने की कोशिश करने वालों के लिए ‘आजादी का अमृतकाल’ भी केवल एक जुमला है। उन्होंने लोगों से अपील की कि संविधान बचाने के लिए एक और ‘करो या मरो’ आंदोलन की जरूरत है क्योंकि अगर संविधान बचेगा तो ही न्याय बचेगा। उन्होंने कहा कि जब न्याय सुरक्षित होगा, तभी सभी नागरिकों को बराबरी का सम्मान और मौके मिलेंगे, भेदभाव मिटेगा और समाज में वास्तविक समानता स्थापित होगी। अखिलेश यादव ने अपने संदेश को ‘सबको स्थान - सबको सम्मान’ के आह्वान के साथ समाप्त किया और लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए संविधान की रक्षा को सबसे बड़ी प्राथमिकता बताया।

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