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सोशल मीडिया पर फॉलो करने की अपेक्षा ने ले ली मिशा अग्रवाल की जान! समय रहते जान लीजिए क्या इससे सबक लेने की है जरुरत?

नई दिल्ली। दिल्ली की उभरती हुई डिजिटल कंटेंट क्रिएटर मिशा अग्रवाल अब हमारे बीच नहीं रहीं। 24 अप्रैल को उन्होंने अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। वह अपने 25वें जन्मदिन से कुछ ही दिन दूर थीं। परिवार द्वारा जारी किए गए बयान में इस दुखद खबर की पुष्टि की गई, जिसने सोशल मीडिया और युवाओं की मानसिक स्थिति को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इंस्टाग्राम पर गिरते आंकड़ों ने छीनी मुस्कान
परिवार ने बताया कि मिशा ने अपना जीवन सोशल मीडिया पर केंद्रित कर रखा था। फॉलोअर्स की संख्या में गिरावट ने उनके आत्मविश्वास को बुरी तरह तोड़ दिया था। वह दिन-रात इस चिंता में डूबी रहती थीं कि उनकी ऑनलाइन पहचान कहीं खत्म न हो जाए। उनके फोन की लॉक स्क्रीन पर लिखा था “1 मिलियन फॉलोअर्स मेरा सपना।”
अकेलेपन और असुरक्षा ने ले ली जान
घरवालों के अनुसार, मिशा हाल के दिनों में गहरे अवसाद में थीं। अक्सर वह रोते हुए अपने परिवार से पूछती थीं, “अगर मुझे लोग फॉलो करना छोड़ देंगे तो मेरा भविष्य क्या होगा?” उन्होंने कई बार कहा कि उन्हें अब खुद पर विश्वास नहीं रहा।
परिवार की लाख कोशिशें रहीं नाकाम
परिजन उन्हें समझाते रहे कि इंस्टाग्राम ही सब कुछ नहीं है। उन्हें उनकी कानून की डिग्री और लोक सेवा आयोग की तैयारी की याद दिलाई गई, लेकिन मिशा ने खुद को ऑनलाइन छवि से इतना जोड़ लिया था कि वह असल जिंदगी की अहमियत समझ ही नहीं पाईं।
एक चेतावनी है यह दुखद अंत
मिशा की मौत केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि यह इस बात की कड़वी सच्चाई है कि किस तरह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म युवाओं के मन-मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डाल रहे हैं। अपने हर पल को ‘लाइक’, ‘फॉलो’ और ‘व्यूज’ से तौलने वाली यह पीढ़ी धीरे-धीरे भावनात्मक रूप से अकेली होती जा रही थी।