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जिस पिता को मृत मानकर कर दिया था दाह संस्कार! वह 24 साल बाद जिंदा मिले, पढ़े कुंभ में बिछड़ने की अजीबो-गरीब कहानी

नई दिल्ली। आज तक आपने कुंभ में मिलने और बिछड़ने की कहानी बहुत सुनी होगी। वहीं बहुत बार ऐसा भी होता है कुंभ में बिछड़ने के सालों बाद लोग अपने परिवार से मिलते हैं। एक ऐसा ही मामला सामने आया जहां एक बेटा को उसके पिता से 24 साल के बाद मुलाकात हुई है। दरअसल, जिस पुत्र ने अपने पिता को मृत मानकर सांकेतिक दाह संस्कार किया था, वही पिता 24 साल बाद जिंदा मिलने पर परिवार की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा।
पूरे परिवार के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं
बता दें कि बिहार के औरंगाबाद जिले के भोपतपुर के रामप्रवेश महतो का जिंदा होना अब पूरे परिवार के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है। पिता की सही सलामत होने की खबर मिलने के बाद परिवार उन्हें घर लाने के लिए औरंगाबाद से लगभग 1400 किलोमीटर दूर पंजाब के जालंधर रवाना हो गया। रामप्रवेश महतो 2001 में प्रयागराज कुंभ मेले में स्नान करने के लिए घर से निकले थे, लेकिन इसके बाद वे लापता हो गए। परिवार ने उनकी खोजबीन शुरू की, घर-गांव से लेकर प्रयागराज तक का कोना-कोना छाना और रिश्तेदारों से पूछताछ की, लेकिन कहीं कोई पता नहीं चला। पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई, पर कोई सफलता नहीं मिली।
परिवार ने उम्मीद नहीं छोड़ी
परिवार ने उम्मीद नहीं छोड़ी और आठ साल तक रामप्रवेश महतो के लौटने का इंतजार किया। इसी दौरान 2009 में उनकी पत्नी जसवा देवी का निधन हो गया। तब गांव के बुजुर्गों ने सलाह दी कि रामप्रवेश महतो को भी मृत मानकर उनकी पत्नी के साथ दाह संस्कार कर दिया जाए। इसके अनुसार उनके पुत्र संतोष कुशवाहा ने पिताजी का प्रतीक दाह संस्कार किया और परिवार ने दशकर्म एवं ब्रह्मभोज भी किया। तब परिवार को यह विश्वास हो गया कि रामप्रवेश महतो अब नहीं लौटेंगे। कुछ दिन पहले औरंगाबाद का एक ट्रक चालक जालंधर के वृद्धाश्रम पहुंचे, जहां उन्हें महंत जिंदर मानसिंह ने एक बुजुर्ग से मिलवाया। बुजुर्ग ने मगही में अपने गांव और परिवार के बारे में बातें कीं। ट्रक चालक ने वृद्धाश्रम संचालक से जानकारी साझा की, जिन्होंने गूगल की मदद से भोपतपुर के जनप्रतिनिधियों से संपर्क किया।




