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विजयादशमी का महापर्व! क्यों किया जाता है रावण दहन, जानें दशहरे के पीछे की कहानी

Anjali Tyagi
2 Oct 2025 8:00 AM IST
विजयादशमी का महापर्व! क्यों किया जाता है रावण दहन, जानें दशहरे के पीछे की कहानी
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नई दिल्ली। हिंदू धर्म में विजयादशमी या फिर कहें दशहरा महापर्व का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है। यह पावन पर्व बुराई पर अच्छाई और सत्य पर असत्य की जीत से जुड़ा है। हिंदू मान्यता के अनुसार विजयादशमी के दिन ही मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने लंकापति रावण का वध किया था। भगवान श्री राम के लंका विजय के इस दिन को सभी सनातन विजयादशमी पर्व के रूप में मनाते हैं।

दशहरे से जुड़ी दो प्रमुख कथाएं हैं

1. भगवान राम द्वारा रावण का वध

यह दशहरा की सबसे प्रसिद्ध कथा है। त्रेता युग में, लंका का राजा रावण बहुत शक्तिशाली और अहंकारी था। उसने छल से भगवान राम की पत्नी माता सीता का अपहरण कर लिया और उन्हें लंका ले गया। भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण और परम भक्त हनुमान की सहायता से वानरों की एक सेना बनाई। नौ दिनों तक चले भयंकर युद्ध के बाद, भगवान राम ने दसवें दिन रावण का वध कर दिया। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, इसलिए इसे 'विजयादशमी' भी कहा जाता है। दशहरा के दिन रावण, उसके भाई कुंभकर्ण और पुत्र मेघनाद के पुतले जलाकर इस विजय का जश्न मनाया जाता है।

2. देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर का वध

यह कहानी मुख्य रूप से दुर्गा पूजा से संबंधित है, जो नवरात्रि के दसवें दिन समाप्त होती है। महिषासुर नामक एक अत्यंत शक्तिशाली राक्षस था, जिसने तपस्या करके अमरता का वरदान प्राप्त कर लिया था। उसने देवताओं को पराजित कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था। सभी देवताओं ने अपनी शक्तियों को मिलाकर एक देवी को उत्पन्न किया, जिनका नाम दुर्गा था। नौ दिनों तक चले युद्ध के बाद, देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। इस विजय के उपलक्ष्य में नवरात्रि के दसवें दिन को विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है, जिस दिन देवी दुर्गा की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है।

क्यों किया जाता है रावण दहन

बुराई पर अच्छाई की जीत- रावण का पुतला जलाना यह दिखाता है कि चाहे अहंकार, अन्याय या अत्याचार कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंत में सच्चाई और अच्छाई की ही जीत होती है।

आंतरिक बुराइयों का नाश- रावण के दस सिर अहंकार, क्रोध, लालच और अन्य बुराइयों का प्रतीक माने जाते हैं। पुतले को जलाकर लोग अपने अंदर की इन नकारात्मकताओं को खत्म करने का संकल्प लेते हैं।

एक अनुस्मारक- अहंकार की प्रकृति ऐसी होती है कि वह बार-बार हमारे मन में जगह बनाता है। हर साल रावण दहन हमें यह याद दिलाता है कि हमें अभिमान और अधर्म को छोड़कर प्रेम और धर्म के रास्ते पर चलना चाहिए।

रामायण का स्मरण- यह परंपरा रामायण के उस महाकाव्य को जीवित रखती है, जिसमें भगवान राम ने सीता को बचाने के लिए रावण से युद्ध किया था। दशहरे से पहले रामलीला का मंचन किया जाता है, जो इस कहानी को दर्शाता है।

सकारात्मक ऊर्जा का संचार- कुछ मान्यताओं के अनुसार, रावण दहन के दौरान ग्रहों की स्थिति ऐसी होती है कि यह सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।

दशहरे का महत्व

यह त्योहार लोगों को यह याद दिलाता है कि अंत में हमेशा सत्य की ही जीत होती है। यह हमें अहंकार, क्रोध और अन्याय जैसी बुराइयों को छोड़ने और धर्म व न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

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