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झूठ की व्याख्या केवल विपक्ष के बयानों पर निर्भर नहीं होनी चाहिए... जगदीप धनखड़ के इस्तीफा पर पहली बार बोले अमित शाह

नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर बढ़ती अटकलों पर पहली बार प्रतिक्रिया दी है। गृहमंत्री ने विपक्ष के उन दावों को भी खारिज कर दिया कि वह नजरबंद हैं। धनखड़ साहब का इस्तीफा अपने आप में स्पष्ट है। उन्होंने अपने इस्तीफे के लिए स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है।
झूठ की आपकी व्याख्या विपक्ष के बयानों पर आधारित है
एक इंटरव्यू के दौरान गृहमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने अच्छे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों व सरकार के सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार भी व्यक्त किया है। हालांकि विपक्ष की ओर से जगदीप धनखड़ के घर में नजरबंद करने के दावों पर उन्होंने कहा कि सच और झूठ की व्याख्या केवल विपक्ष के बयानों पर निर्भर नहीं होनी चाहिए और उन्होंने पूर्व उपराष्ट्रपति के इस्तीफे पर हंगामा करने के खिलाफ चेतावनी दी। अमित शाह ने कहा ऐसा लगता है कि सच और झूठ की आपकी व्याख्या विपक्ष के बयानों पर आधारित है। हमें इस सब पर बखेड़ा नहीं खड़ा करना चाहिए। जगदीप धनखड़ एक संवैधानिक पद पर थे और उन्होंने संविधान के अनुसार अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। उन्होंने निजी स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया। इस मुद्दे पर ज्यादा विचार-विमर्श नहीं करना चाहिए।
धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का दिया था हवाला
बता दें कि संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। वहीं उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपे गए पत्र में कहा था कि वह अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना चाहते हैं और डॉक्टरों की सलाह का पालन करना चाहते हैं। हालांकि धनखड़ के इस्तीफा के बाद विपक्ष ने सरकार पर कई आरोप भी लगाए थे।
राहुल गांधी ने केंद्र सरकार की की थी आलोचना
दरअसल, धनखड़ के इस्तीफे को लेकर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी केंद्र सरकार की आलोचना की थी। राहुल गांधी ने कहा कि हम मध्यकालीन काल में वापस जा रहे हैं जब राजा अपनी मर्जी से किसी को भी हटा सकता था। निर्वाचित व्यक्ति क्या होता है, इसकी कोई अवधारणा ही नहीं है। उसे आपका चेहरा पसंद नहीं आता, इसलिए वह ईडी को मामला दर्ज करने को कहता है और फिर एक लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित व्यक्ति को 30 दिनों के भीतर हटा दिया जाता है। साथ ही, यह भी न भूलें कि हम एक नए उपराष्ट्रपति का चुनाव क्यों कर रहे हैं।