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भारत का इकलौता मंदिर जहां शिव परिवार के साथ विराजमान हैं भगवान कुबेर, धनतेरस पर जुटते हैं हजारों भक्त

Anjali Tyagi
16 Oct 2025 8:00 AM IST
भारत का इकलौता मंदिर जहां शिव परिवार के साथ विराजमान हैं भगवान कुबेर, धनतेरस पर जुटते हैं हजारों भक्त
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मध्यप्रदेश। मंदसौर के खिलचीपुरा गांव में भगवान कुबेर का एक अनोखा और प्राचीन मंदिर स्थित है, जो धौलागढ़ महादेव मंदिर के गर्भगृह में विराजित हैं। यह मंदिर अपनी कई खासियतों के कारण चमत्कारी माना जाता है। इसकी खास बात यह है कि इसमें शिव परिवार के साथ भगवान कुबेर विराजमान हैं। यह मंदिर अपनी इस अनोखी संरचना के लिए जाना जाता है, क्योंकि उत्तराखंड के केदारनाथ के बाद यह एकमात्र स्थान है जहां भगवान कुबेर शिव पंचायत में शामिल हैं। मंदिर की एक और विशेषता यह है कि इसके गर्भगृह में आज तक ताला नहीं लगाया गया है और भक्त सिर झुकाकर प्रवेश करते हैं।

मंदिर की मुख्य विशेषताएं

1. भगवान शिव के साथ कुबेर- केदारनाथ धाम के बाद यह देश का एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां कुबेर भगवान अपने मित्र भगवान शिव के परिवार के साथ विराजमान हैं।

2. 1200 साल पुरानी प्रतिमा- मंदिर में भगवान कुबेर की प्रतिमा उत्तर गुप्त काल यानी लगभग 7वीं शताब्दी की है। मराठा काल में धौलागढ़ महादेव मंदिर का निर्माण हुआ, तब इस प्रतिमा को गर्भगृह में स्थापित किया गया।

3. कभी ताला नहीं लगता- यह मंदिर देश का संभवतः एकमात्र कुबेर मंदिर है, जिसके गर्भगृह पर कभी ताला नहीं लगाया जाता है।

4. बिना नींव वाला मंदिर- स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यह मंदिर बिना किसी नींव के स्थापित है और माना जाता है कि यह स्वयं आसमान से उड़कर आया था।

5. धनतेरस पर विशेष पूजा- धन के देवता कुबेर होने के कारण यहां धनतेरस पर विशेष पूजा की जाती है और भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, जिनका मानना है कि दर्शन करने से आर्थिक परेशानियाँ दूर होती हैं।

6. पश्चिमी मुखी कुबेर- यह पश्चिमी मुखी कुबेर मंदिर है, जो लगभग 1500 साल पुराना बताया जाता है।

दिवाली और धनतेरस पर विशेष पूजा

दिवाली के पावन पर्व की शुरुआत धनतेरस से होती है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा का महत्व है। खिलचीपुरा के कुबेर मंदिर में धनतेरस पर विशेष पूजा होती है, जिसमें श्रद्धालु अपनी आर्थिक समृद्धि और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान कुबेर का आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं। मंदिर में तंत्र पूजा का आयोजन भी किया जाता है, जो सुबह 4 बजे प्रारंभ होती है। मान्यता है कि इस पूजा में शामिल होने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।

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