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भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर जहां भगवान शिव के साथ विराजमान नहीं है नंदी! जानें इसके पीछे का कारण

नासिक। नंदी को भगवान शिव का परम भक्त माना जाता है. इसलिए हर मंदिर में नंदी की प्रतिमा स्थापित होती है, लेकिन भारत में एकमात्र शिव मंदिर ऐसा है, जहां नंदी विराजमान नहीं हैं। आमतौर पर अधिकांश शिव मंदिर में शिवलिंग के अलावा नंदी की प्रतिमा भी स्थापित की जाती है। अधिकांश शिव मंदिरों में भगवान शिव के साथ उनके परम भक्त नंदी भी मौजूद हैं। लेकिन भारत का एकमात्र शिव मंदिर ऐसा है जहां नंदी विराजमान नहीं हैं।
कपालेश्वर महादेव मंदिर
यह है प्राचीन एवं प्रसिद्ध शिव मंदिर 'कपालेश्वर महादेव मंदिर'। यह मंदिर गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। शिवजी के प्रसिद्ध बारह ज्योतिर्लिंगों के बाद यदि किसी अन्य मंदिर का अधिक महत्व है तो वह कपालेश्वर महादेव मंदिर का ही है।
पौराणिक कथा
प्राचीन काल में ब्रह्मा जी के पांच मुख थे, जिनमें से चार वेद उच्चारण करते थे, लेकिन पांचवां मुख निंदा करता था। एक बार इस मुख ने शिवजी की निंदा की, जिससे क्रोधित होकर शिवजी ने उसका एक मुख काट दिया। ब्रह्मा का मुख काटने से शिवजी को ब्रह्म हत्या का पाप लगा, जिससे मुक्ति पाने के लिए उन्होंने पूरे ब्रह्मांड का भ्रमण किया, लेकिन कोई उपाय नहीं मिला। जब शिव सोमेश्वर में बैठे थे, तब एक बछड़े ने उन्हें ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति का उपाय बताया। यह बछड़ा कोई और नहीं बल्कि स्वयं नंदी थे। नंदी ने शिवजी को गोदावरी नदी के रामकुंड में स्नान करने का सुझाव दिया, जिससे उनके पाप समाप्त हो गए।
इस प्रकार नंदी ने शिवजी का मार्गदर्शन किया और उन्हें ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त कराया। इसलिए शिवजी ने नंदी को अपना गुरु माना और उन्हें कपालेश्वर महादेव मंदिर में स्वयं के सामने बैठने से मना कर दिया। इसी कारण इस मंदिर में शिवलिंग के सामने नंदी विराजमान नहीं हैं। नंदी की मूर्ति मंदिर में नहीं, बल्कि रामकुंड में स्थापित है।
मंदिर का महत्व
श्री कपालेश्वर महादेव मंदिर गोदावरी नदी के तट पर स्थित है और इसे भारत के महत्वपूर्ण शिव मंदिरों में गिना जाता है। इस मंदिर के सामने रामकुंड है, जहां भगवान राम ने भी श्राद्ध किया था। मंदिर के सामने ही सुंदर नारायण मंदिर भी है, जहां साल में एक बार हरिहर महोत्सव मनाया जाता है।