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शक्तिशाली 'नागपाशम मंत्र' से बंद किया गया है इस मंदिर का सातवां दरवाजा, खुलते ही मच जाएगा प्रलय! जानें क्या है नाम और इतिहास

नई दिल्ली। श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर केरल के तिरुवनंतपुरम में स्थित भगवान विष्णु का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह भारत के 108 पवित्र वैष्णव तीर्थस्थलों में से एक है। इस मंदिर को दुनिया के सबसे अमीर मंदिरों में से एक माना जाता है। श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के सातवें (जिसे वॉल्ट बी या कलारा बी भी कहा जाता है) दरवाजे का रहस्य मुख्य रूप से धार्मिक मान्यताओं, श्राप के डर और एक अद्वितीय यांत्रिक/मंत्र-आधारित ताले से जुड़ा है, जिसके कारण आज तक इसे खोला नहीं जा सका है।
इतिहास और वास्तुकला
स्थापना: इसकी उत्पत्ति प्राचीन काल से जुड़ी है। माना जाता है कि इसे 18वीं शताब्दी में त्रावणकोर के महाराजा मार्तंड वर्मा ने फिर से बनवाया था।
समर्पण: मार्तंड वर्मा ने अपना पूरा राज्य भगवान पद्मनाभ को समर्पित कर दिया और खुद को उनका सेवक घोषित कर दिया।
शैली: मंदिर चेरा और द्रविड़ स्थापत्य कला का एक अनोखा संगम है।
मुख्य आकर्षण और रहस्य
भगवान विष्णु की प्रतिमा: मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की एक बड़ी मूर्ति है, जिसमें वे शेषनाग पर योगनिद्रा मुद्रा में विराजमान हैं।
रहस्यमयी तहखाने: मंदिर के नीचे सात तहखाने हैं, जिनमें से छह को खोला जा चुका है। इन तहखानों में भारी मात्रा में धन, सोना, और रत्न मिले हैं।
सातवां दरवाजा: सातवें तहखाने (वॉल्ट बी) को अभी तक नहीं खोला गया है, और इसे नागों द्वारा सुरक्षित माना जाता है।
सातवें दरवाजे का रहस्य
पद्मनाभस्वामी मंदिर के सातवें दरवाजे का रहस्य यह है कि इसे एक शक्तिशाली 'नागपाशम मंत्र' से बंद किया गया है और माना जाता है कि इसे केवल एक सिद्ध पुरुष द्वारा गरुड़ मंत्र के सही उच्चारण से ही खोला जा सकता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दरवाजे को खोलने का प्रयास करने पर या तो अलौकिक शक्तियों या नागों के कारण मृत्यु हो सकती है, या फिर दुनिया में प्रलय आ सकता है।
कारण
नागों द्वारा सुरक्षा: दरवाजे पर दो विशाल, खुदे हुए सांपों की आकृतियां बनी हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि वे इसकी रक्षा करते हैं।
गरुड़ मंत्र से खुलने का विधान: किंवदंतियों के अनुसार, यह दरवाजा किसी ताले या बोल्ट से बंद नहीं है। इसे केवल एक उच्च कोटि के सिद्ध पुरुष या योगी द्वारा 'गरुड़ मंत्र' के सही उच्चारण से ही खोला जा सकता है। माना जाता है कि मंत्र का गलत उच्चारण करने वाले की मृत्यु हो सकती है या प्रलय आ सकती है।
श्राप का डर: त्रावणकोर शाही परिवार और स्थानीय लोगों का दृढ़ विश्वास है कि यदि इस दरवाजे को बलपूर्वक या अनुष्ठानों के बिना खोला गया, तो इससे दुर्भाग्य, श्राप या बड़ी आपदा आ सकती है। विनाशकारी परिणाम की अफवाहें: 1931 और 1908 में इसे खोलने के कथित प्रयासों के दौरान सांपों के प्रकट होने और अचानक मौतों की कहानियों ने इस डर को और मजबूत किया है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इसके पीछे पानी का अथाह भंडार है और इसे खोलने से बाढ़ आ सकती है।
शाही परिवार की आपत्ति: मंदिर के प्रबंधन से जुड़े त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार ने हमेशा इस दरवाजे को खोलने का कड़ा विरोध किया है, इसे धार्मिक मान्यताओं और परंपरा के विरुद्ध बताया है।
न्यायिक स्थिति: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 2020 के एक फैसले में मंदिर के प्रबंधन अधिकार शाही परिवार को सौंप दिए और वॉल्ट बी को खोलने का निर्णय प्रशासनिक समिति और मंदिर के तंत्री (मुख्य पुजारी) पर छोड़ दिया। इन सभी कारणों से, भले ही मंदिर के अन्य पांच तहखानों से भारी मात्रा में खजाना मिला है, वॉल्ट बी आज भी एक अनसुलझा रहस्य बना हुआ है।




